यूपी का किसान इस खास तरीके से मशरूम की खेती कर बन गया मालामाल, लाखों की हो रही कमाई

सुशील सिंह/ मऊ: पूर्वांचल में अगर मुनाफे वाली खेती की बात की जाए तो दिल्ली दूर ही नजर आती है. छोटी जोत के किसान अपने जीवन यापन के लिए सिर्फ परंपरागत खेती कर रहे है.परंतु अब यहां के किसानों ने लीक से हटकर खेती करना शुरू कर दिया है और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं. कुछ ऐसा ही तरीका अपनाया है मऊ जिले के रहने वाले किसान सतीश सोनकर ने, जो अब परंपरागत खेती से हटकर मशरूम की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे है.

सतीश सोनकर ने बताया कि यहां पर वो बटन मशरूम की खेती करते हैं. मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले कंपोस्ट तैयार करना पड़ता है जो कि भूसे का बना होता है. इसको तैयार करने में कुल 1 महीने का समय लगता है.इस कंपोस्ट को तैयार करने के बाद बड़े-बड़े बेड में इसे बिछाया जाता है, फिर इसमें मशरूम के बीजों को बो दिया जाता है. इन बीजों को बोन के लिए इन्होंने 50×22 फीट की झोपड़ी बनाई है. अभी इनके पास 6 झोपड़ियां बनी हुई हैं. प्रत्येक झोपड़ी से इन्हे 30 टन मशरूम मिल जाता है.

बेहद आसान है मशरूम की खेती

सतीश सोनकर ने बताया कि मशरूम बोने का सबसे अच्छा समय नवंबर होता है. लगभग 70 दिन में ये फसल तैयार हो जाती है. बीज बोने के15 से 20 दिन के अंदर मशरूम के बीजों से छोटे छोटे मशरूम निकलने लगते हैं,जिन्हें पिन कहते हैं. जब यह फसल पूरी तरह से पक जाती है तो इसे तोड़कर पैक करके मंडी में भेज दिया जाता है.मशरूम की खेती के लिए जमीन की जरूरत नहीं पड़ती. हम इन्हें अपनी सुविधानुसार कहीं भी कंपोस्ट डाल कर इसकी खेती कर करते हैं. जिससे वह प्रतिवर्ष 5 से 6 लाख रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा साधन

किसान ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है. सरकार इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है. मशरूम प्रोटीन के एक बहुत ही अच्छा स्रोत है. प्रोटीन की आपूर्ति के लिए विभिन्न खाद्य पदार्थों में इसका प्रयोग किया जाता है.अगर आपको भी कम समय में अच्छा मुनाफा कमाना है तो आप भी मशरूम की खेती में किस्मत आजमा सकते हैं और बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

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