सनंदन उपाध्याय/बलिया: कहा जाता है की सफलता कष्ट और मेहनत की कुंजी है. बिना कुछ किए मनुष्य को वह कुछ भी नहीं मिलता है. जो हर कोई पाना चाहता है. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।। यानी सिंह के मुंह में अपने आप हिरन नहीं जाता उसके लिए सिंह को मेहनत करनी पड़ती है. यह मायने नहीं रखता कि हम कितने बड़े स्कूल में पढ़ रहे हैं. यह मायने जरूर रखता है कि हमारा पढ़ाई के प्रति लगन और प्रेम कितना है. आपको बताते चलें कि एक तरफ जहां आम जन मानस में यह धारणा बनी हुई है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है. वहीं अगर बलिया जनपद के राजकीय इंटर कॉलेज की बात करे तो यह विद्यालय देश को एक से बढ़कर एक नगीना दिया है जो उच्च पदों पर आसीन होकर जनपद को गर्वान्वित कर है.
कॉलेज में 25 वर्षों से कार्यरत कलाध्यापक इफ्तिखार खान ने कहा कि यहां के विद्यार्थी देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान देते हुए विद्यालय ही नहीं बल्कि जनपद का मान बढ़ाया है. यदि पूर्व की बात करें तो यहां से आईएएस पीसीएस राजदूत गणितज्ञ वैज्ञानिक जज, डॉक्टर इंजीनियर कवि एवं साहित्यकार दिए हैं. उदाहरण के तौर पर पारसनाथ ओझा भूतपूर्व राजदूत, नगीना सिंह आईएस भूतपूर्व सचिव, बीपी सिंह ब्रिगेडियर भारतीय सेवा, कुलदीप नारायण सिंह आईएस भूतपूर्व सचिव और सच्चिदानंद पांडेय भूतपूर्व आयुक्त परिवहन इत्यादि.
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2023, 00:22 IST