यह है आयुर्वेद का सबसे चमत्कारी पौधा, खांसी-जुकाम और टीबी-अस्थमा होता है दूर

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. पश्चिम राजस्थान में कई ऐसे औषधीय पौधे है जिनका उपयोग व जानकारी के अभाव में इसका इस्तेमाल नहीं होता है. आज ऐसे ही एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधे के बारे में बताएंगे जिससे न केवल खांसी जुखाम बल्कि टीबी, अस्थमा जैसी बीमारियों में भी गुणकारी होता है. अडूसा या वसाका या फिर मालाबार नट के पत्ते, फूल, जड़ों और छाल का आयुर्वेद में हजारों साल से प्रयोग होता आया है.

बाड़मेर के मां सती दाक्षायणी मंदिर ट्रस्ट के पुजारी ने 400 किस्मों के करीब 4000 पौधे लगाए हैं, जिनमें औषधीय, सदाबाहर, छायादार और फलदार पौधे लगाए हुए है. उन्ही में से एक है अडूसा का औषधीय पौधा. इसमें जीवाणुरोधी, सूजन को कम करने वाले और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं. मालाबार नट श्वसन रोगों के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य औषधीयों में से एक है. मंदिर की वाटिका में कपूर, इलायची, लौंग, चंदन, अगरवुड, केसर, शीशम, अशोक, कृष्णवट और रुद्राक्ष सहित 400 से अधिक किस्म के पौधे यहां लगाए गए है. औषधीय गुणों से भरपूर अडूसा जिसे वसाका के नाम से भी जाना जाता है. मां सती दाक्षायणी मंदिर के पुजारी वासुदेव जोशी बताते हैं कि इसका आयुर्वेद में खास मुकाम है. वसाका का इस्तेमाल कई बीमारियों सिरदर्द, आंखों की बीमारी, पाइल्स, मूत्र रोग, खांसी-जुखाम, अस्थमा और टीबी जैसी अनेक बीमारियों का उपचार करने में किया जाता है.

इन गंभीर बीमारियों में कारगर

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ नरेंद्र कुमार बताते है कि आयुर्वेद में अडूसा पौधा काफी गुणकारी माना गया है और इससे अल्सर, अस्थमा, गांठिया रोग सहित कई बीमारियों में इसके पत्ते, छाल, फूल और जड़ का इस्तेमाल किया जाता है. आजकल ज्यादातर लोग गठिया रोग से परेशान रहते हैं. सर्दियो में यह समस्या और भी बढ़ जाती है. अगर आप भी इस बीमारी से परेशान हैं तो आपके लिए अडूसा के पत्ते फायदेमंद साबित हो सकते हैं. यह न सिर्फ जोड़ों के दर्द में बल्कि ब्रोंकाइटिस, पेट के अल्सर और अन्य कई बीमारियों में भी लाभदायक है. इस पौधे की पत्तियों से लेकर उसकी छाल तक से बीमारियों का उपचार किया जाता है. अडूसा पौधा औषधीय गुणों से भरपुर होता है. इसकी पत्तियां, फूल, जड़ और छाल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं. आयुर्वेद में ही नहीं, बल्कि यूनानी चिकित्सा में भी अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. वह बताते है कि गठिया दर्द, सर्दी जुकाम, अल्सर, टीबी, अस्थमा जैसी समस्याओं में यह पौधा कारगर साबित हो सकता है.

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