जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि निर्वाचन आयोग के बजाय उच्चतम न्यायालय को जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए निर्देश जारी करना पड़ा, जो ‘‘काफी शर्म की बात’’ है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता ने जिक्र किया कि यह कहना कि सही नहीं है कि जम्मू-कश्मीर की सभी समस्याओं की जड़ अनुच्छेद 370 था। उन्होंने कहा कि अब उन क्षेत्रों में आतंकवादी हमले हो रहे हैं, जो पूर्व में आतंकवाद मुक्त हुआ करते थे।
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में विशेष रूप से जम्मू, राजौरी और पुंछ के पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
यहां एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में उन्होंने दावा किया कि अतीत की तुलना में वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान घाटी में लक्षित हमलों में अधिक कश्मीरी पंडित मारे गए हैं।
अब्दुल्ला ने पूछा, उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई समयसीमा पर भाजपा और भारत सरकार क्या करने जा रही है?
उन्होंने कहा कि अदालत ने कहा था कि सितंबर के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने चाहिए।
अब्दुल्ला ने कहा, यह बेहद शर्म की बात है कि जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा निर्वाचन आयोग या भारत सरकार के बजाय उच्चतम न्यायालय को करनी पड़ी।
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