यह शख्स न होता तो हो जाता कांड… इस ‘फेविकोल’ से बच गई नीतीश कुमार की कुर्सी

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी कैसे बची… इसको लेकर बिहार के चौक-चौराहों से लेकर राजनीतिक गलियारे में अभी तक चर्चाएं हो रही हैं. खासकर, आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी नेताओं के पाला बदलने का मुद्दा खूब छाया हुआ है. ऐसे में आज आपको बताने जा रहे हैं कि नीतीश कुमार की सीएम की कुर्सी बचाने लिए किन-किन नेताओं ने ‘फेविकोल’ का काम किया. इस बात की चर्चा आपसे आगे करूंगा,  लेकिन पहले आपको बता दूं कि तेजस्वी यादव का खेल उनके अपने ही दिए बयान से बिगड़ गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में 12 फरवरी को खेला होगा. हालांकि, नीतीश कुमार पूरी तरह से आश्वस्त थे कि कुछ भी खेला नहीं होने वाला है, लेकिन 10 फरवरी से जेडीयू के कुछ विधायकों के फोन स्वीच ऑफ हो जाने के बाद केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय का माथा ठनक गया. राय को लगने लगा कि कुछ न कुछ बिहार में जरूर गड़बड़ होने वाला है.

नित्यानंद राय दिल्ली से पटना शिफ्ट हो गएऔर कई प्लान पर काम करना शुरू कर दिया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के सर्वेसर्वा जीत राम मांझी पर लालू यादव की नजर थी, यह बात राय को पहले से जानकारी थी. इसलिए राय लगातार जीतन राम मांझी से संपर्क में रह रहे थे. राय ने प्लान बी पर  बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को लगा दिया.  कहा तो यह जा रहा है कि एनडीए नेताओं ने आरजेडी के वैसे विधायकों की लिस्ट बनाई गई, जो बालू, गिट्टी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में पिछले कई सालों से लगे हुए हैं और उन पर जांच एजेंसियों की नजर थी. ऐसे नेताओं को पाले में लाने की जिम्मेदारी सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को सौंपी गई.

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नीतीश कुमार की विदाई का प्लान लालू यादव और तेजस्वी यादव अपने करीबियों के जरिए अंजाम दे रहे थे.

बिहार की सत्ता रात भर ऐसे जाग रही थी
दूसरी तरफ, नीतीश कुमार की विदाई का प्लान लालू यादव और तेजस्वी यादव अपने करीबियों के जरिए अंजाम दे रहे थे. सूत्रों की मानें तो बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद तेजस्वी यादव कम ही फोन का इस्तेमाल कर रहे थे. तेजस्वी यादव का विधायकों से बात करना हो या गठबंधन दलों के नेताओं से संपर्क करना हो या निर्देश देना हो तो वह अपने करीबी संजय यादव या किसी अन्य करीबियों के फोन से करते थे.

सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय इस बात की जानकारी थी कि पूरा प्लान तैयार किया जा रहा है. ऐसे में नित्यानंद राय ने नीतीश कुमार के इस बारे में जानकारी दी तो नीतीश बोले- अरे बिहार में कुछ नहीं होने वाला काहे के लिए आपलोग परेशान हैं. सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव अगर बयान नहीं दिए हुए होते कि बिहार में खेला होने वाला है तो आज बिहार की राजनीति बदली हुई नजर आ रही होती.

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बिहार में फ्लोर टेस्‍ट के बाद भी काफी राजनीतिक गहमागहमी है…

नित्यानंद राय एक्शन में दिखे
बहरहाल, नीतीश सरकार बच तो गई, लेकिन रविवार देर रात तक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हम पार्टी के चार विधायकों ने एनडीए नेताओं की सासें फूला दी. मांझी का मोबाइल कबी ऑफ हो जाता तो कभी व्यस्त रहता. मांझी से संपर्क टूट गया था. मांझी के आवास पर फोन करने पर पता चला कि वह सोने चले गए हैं. लेकिन, राय को मांझी के फोन ऑन-ऑफ होने से चिंताएं बढ़ाने लगी. देर रात नित्यानंद राय खुद मांझी के आवास पर पुहंच गए. कहा तो यह जा रहा है कि इस दौरान नित्यानंद राय को वहां मौजूद गार्ड ने रोक दिया. ऐसे में राय ने कहा कि मैं नित्यानंद राय हूं..दरवाजा खोलो… इसके बाद वहां मौजूद गार्ड ने दरवाजा खोला और मांझी से मुलाकात कर सारी आशंकाओं को खत्म किया.

प्लान-बी और प्लान-सी भी था तैयार
दूसरी तरफ प्लान सी के तहत विजय सिन्हा के आवास पर पटना, लखीसराय, नवादा और बेगुसराय के कुछ आरजेडी विधायकों के परिवारवालों से संपर्क साधा गया. इस बीच बीजेपी एक टीम आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद से संपर्क किया. आनंद मोहन के विधायक बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने को लेकर राजी किया गया. फिर देर रात पटना में चेतन आनंद की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई और रात को तेजस्वी यादव के आवास से चेतन आनंद को निकाला गया.

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बीजेपी ने इस बार नीतीश कुमार न केवल समर्थन दिया, बल्कि फेविकोल बन कर सीएम की कुर्सी भी बचा दी. File Photo

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कुलमिलाकर बीजेपी ने इस बार नीतीश कुमार न केवल समर्थन दिया, बल्कि फेविकोल बन कर सीएम की कुर्सी भी बचा दी. नित्यानंद राय सहित बीजेपी के केद्रीय नेतृत्व ने अगर जेडीयू विधायकों के बागी रुख को न भांपा होता तो आज बिहार की राजनीति कुछ और होती. इसी का नतीजा है कि अनंत सिंह की पत्नी मोकामा विधायक नीलम देवी, सुर्यगढ़ा के आरजेडी विधायक प्रहलाद यादव और चेतन आनंद एनडीए में हैं. इस पूरे एपिसोड से बिहार बीजेपी के कई नेताओं की किस्मत चमक सकती है तो कई नेता हाशिये पर जा सकते हैं.

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