कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्तीःकहते हैं की मन में कुछ अलग करने का जुनून हो तो कोई भी बाधा आपके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती है.एक ऐसा ही उदाहरण बस्ती जनपद की रहने वाली एक महिला ने पेश की है. बस्ती जनपद के रामनगर विकास खण्ड के चंदोखा गांव निवासी गृहणी पूजा देवी ने आज से पांच वर्ष पूर्व लोगों को स्वस्थ्य रखने का बीड़ा खुद अपने कंधो पर उठाया और फसलों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने के खिलाफ़ एक मुहिम चलाया.खुद घर के वेस्ट मैटीरियल का इस्तेमाल कर जैविक खाद का उत्पादन करना शुरू किया. जिससे आज लोग पूजा देवी को जैविक स्त्री के नाम से जानते हैं और आज यह महिला लोगों को स्वस्थ बनाने के साथ खुद आत्मनिर्भर भी बन रही है.
आपको बता दे की पूजा द्वारा सॉलिड (भुरभुरा) और लिक्विड(गौमूत्र) दो तरीके के खाद का निर्माण किया जा रहा है. जो पूरी तरह से देशी और रसायन मुक्त है. पूजा देवी ने बताया कि भुरभुरे खाद के निर्माण के लिए उन्होंने कई गड्ढे खोद रखे हैं. जिसमें नीचे से पॉलिथीन लगाकर उसमें उसमें गाय का गोबर और घर के वेस्ट मैटीरियल जैसे साग सब्जी पॉलिथीन छोड़कर सब उसमें डालती रहती हैं. फिर उसमें केचुआ डाल कर उसमें ऊपर से लेप लगा देती हैं. फिर उसको पॉलिथीन से ढक देती हैं.
21 दिन में बढ़िया भुरभुरा खाद तैयार
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की यह गड्ढा छाव में रहता है. फिर यह 21 दिन में बढ़िया भुरभुरा खाद बन जाता है. जिसका इस्तेमाल खेतों में किया जा सकता.वही जैविक कीटनाशक बनाने के लिए गौ मूत्र में बेल का पत्ता,नीम का पत्ता, नीम का फल, धतूर का पत्ता और गोबर आदि को अच्छे से मिलाकर पीस कर ड्रम में ऊपर से पॉलिथीन से ढक कर कही छाव में रख दिया जाता है और फिर 21 दिन बाद यह तैयार हो जाता है और इसको छानकर डब्बे में पैक कर दिया जाता है.पूजा देवी ने आगे बताया की हमारे द्वारा हर महीने अभी इतना खाद तैयार कर दिया जाता है. जिसका इस्तेमाल 10 बीघे की खेती में किया जा सकता है.
क्या हैं फायदे
पूजा देवी ने बताया की मेरे द्वारा तैयार किए गए जैविक खाद का खेतों में छिड़काव करने से एक तो फसलों में कीड़े मकौड़े रोग आदि नहीं लगते . दूसरा जो आज किसानों के लिए सबसे बडी दिक्कत है आवारा पशुओं की, तो इस जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करने से आवारा पशु भी खेतों में नहीं जाते और इसके इस्तेमाल से फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है..यह मानव शरीर को रोगों से भी बचाता है.
बन रही आत्मनिर्भर
पूजा देवी ने कहा की आज के डेट में वो स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जैविक खाद के उत्पादन का प्रशिक्षण भी देने का काम कर रही है. जिससे लोगों को स्वस्थ रखने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके. साथ ही कहा की आज उनके खाद का डिमांड इतना है की वो अकेले उतना उत्पादन ही नहीं कर पा रही हैं. खाद को पैक करने में जो बॉटल और पॉलिथीन की जरूरत पड़ती है. बस उसी में पैसा लगता है बाकी सब नेचुरल है. खाद की पैकेट को जहा वो 10 रुपए में तो वही जैविक कीटनाशक को वह 50 रुपए प्रति लीटर बेचती हैं. जिससे उनको अच्छी खासी प्रॉफिट हो जाता है और उनको अपने खर्चे के लिए किसी के ऊपर डिपेंड रहने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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FIRST PUBLISHED : January 8, 2024, 15:04 IST