यह पशु है किसान के लिए चलता फिरता ATM, कम चारे व थोड़ी जगह में हो जाता है पालन

धीरज कुमार/मधेपुरा : वर्ष 2008 में कोसी क्षेत्र में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने इस इलाके के भूगोल को बदल दिया था. टूटी सड़कें, उखड़े पुल और उजड़े घर- मकान को देखकर बाढ़ की विभीषिका का बाहरी लोग अंदाजा लगाते थे. लेकिन, इस इलाके को दोबारा संवारने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई. इसके साथ ही इस इलाके के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिएकोसी बेसिन परियोजना शुरू की गई. इससे जुड़कर कई लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक हो गई. इसी योजना से जुड़कर वर्ष2021 में बकरी पालन की शुरुआत करने वाले मधेपुरा के श्रीपुर के रहने वाले रमेश यादव भी सालाना चार लाख से अधिक कमा लेते हैं.

20 बकरी से की थी शुरुआत
सहरसा, मधेपुरा और सुपौल में कोसी बेसिन परियोजना को बाढ़ ग्रस्त इलाके में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इसके तहत बकरी पालन, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन के लिए किसानों को 50% अनुदान पर लोन देना शुरू किया गया.

मधेपुरा शहर से 4 किलोमीटर दूर श्रीपुर गांव के रहने वाले रमेश यादव ने भी इस परियोजना के माध्यम से 20 बकरी से शुरुआत की. तब उन्हें 2 लाख रुपए मिला था. आज रमेश के पास 50 बकरी है और इससे वह सालाना 4 लाख की कमाई कर रहे हैं. रमेश का मानना है कि इस योजना ने उनके लिए संजीवनी का काम किया.

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मुर्गा फार्म खोलने का भी है प्लान
लोकल 18 से बात करते हुए बकरी पालक रमेश यादव ने बताया कि बाढ़ आने से हर वर्ष निचले इलाके कीखेतों में नदी का पानी आ जाता था. इस कारण फसल तो बर्बाद हो ही जाती थी, बुआई तक का खर्च भी बमुश्किल से निकल पाता था. ऐसे में कोसी बेसिन परियोजना से जुड़कर उन्होंने अनाज की खेती छोड़ बकरी पालन शुरू किया.

सरकार से 20 बकरी के लिए 2 लाख रुपया मिला. इसमें 1 लाख का अनुदान था. वे बताते हैं कि हर वर्ष 20-25 खस्सी बेच लेते हैं. इससे 4 लाख तक की सालाना कमाई हो जाती है. रमेश बताते हैं कि अब उस खेत में भी वे मखाना की खेती कर रहे हैं. बकरी पालन के साथ ही वे अब मुर्गा फार्म भी खोलने का प्लान कर रहे हैं.

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