यह कोई मामूली पेड़ नहीं, इसमें विराजती है मां काली, 600 सालों से है अडिग, आंधी-तूफान में भी नहीं हिलता

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया: आज तक आपने जितने भी धार्मिक स्थलों के बारे में सुना होगा या देखा होगा. पर यहां सबसे अलग बात है. पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 31  केनगर प्रखंड क्षेत्र के फरियानी नया टोला समीप सड़क किनारे एक पेड़ स्थित है. यह कोई साधारण पेड़ नहीं है. मान्यता है कि इसमें माता विराजती है. मंदिर के पुजारी गंगाराम मंडल सहित अन्य ग्रामीण जनार्दन मेहता, शांति देवी, कंचन देवी, रूपा देवी, मुन्नी देवी सहित अन्य स्थानीय ग्रामीणों ने बताया यह साधारण सा दिखने वाला पेड़ मामूली नहीं है. दरअसल इस पाखड़ के पेड़ में मां काली विराजती हैं.

आंधी तूफान भी नहीं हिलता

मौजूद स्थानीय लोगों का कहना है कि आज के जमाने से लगभग कई पूर्वज के आने जाने से पहले लगभग 600 वर्ष पूर्व पाखड़ का पेड़ है. स्थानीय लोगों ने बताया कि माता काली स्थानीय लोगों को माँ काली ने स्वप्न दिया था. जिसके बाद मां काली इस पाखड़ के पेड़ में रहने की बात कही थी. तब से ही वहां के स्थानीय लोग उसे पाखड़ के पेड़ की दिन रात पूजा अर्चना करने लगे. और सेवा पानी में बैठने रहे.

ग्रामीणों के साथ मुसाफिर भी करते माता की पूजा

वहां के स्थानीय बुजुर्ग ग्रामीण जनार्दन मेहता, बिंदु प्रसाद सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया यह मंदिर सड़क किनारे होने के कारण जिन लोगों को पता है या जिन लोगों को नहीं भी पता है वह आते-जाते अपने माथा जरूर टेकते हैं. साथ ही साथ कई मुसाफिर और कई स्थानीय लोग भी इस मंदिर में आकर अगर अपनी मनोकामना मांगते हैं तो निश्चित तौर पर मां काली उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं. इस मंदिर में पूजा करने के लिए स्थानीय गांव के लोग एवं आने-जाने वाले मुसाफिरों के द्वारा भी मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है.

इन कारणों से नहीं बन पाया मंदिर

वही मंदिर के पुजारी एवं स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर सड़क किनारे होने से जगह की दिक्कत है. कई दाता मंदिर को बनाना भी चाहते हैं, लेकिन सड़क के किनारे सटे होने के कारण मंदिर का निर्माण कार्य भी नहीं हो पता है. कई लोग अपने मनोकामना पूर्ण होने पर अब तक मंदिरों में ईट, सीमेंट एवं कुछ सामग्री भी दे चुके हैं, लेकिन मंदिर निर्माण कार्य नहीं हो पाया है.

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