यह किसान 3 एकड़ में उगाते हैं फूल और सब्जी, हर साल कमा रहा 15 लाख रुपए

ज्योति/पलवलः पारंपरिक खेती की तुलना में फूलों की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही हैं. बाजार में अब साल भर गेंदा के फूलों की डिमांड बढ़ती रहती है. त्योहार हो या घरों की सजावट करनी हो या फिर शादी-ब्याह, कोई भी आयोजन बिना फूल के पूरे नहीं होता हैं. ऐसे में फूल की खेती किसानों की जिंदगी को महका दे रही हैं. ऐसे ही एक किसान ओमवीर मलिक हैं.ओमवीर मलिक पलवल गांव मांदकौल के रहने वाले है. उन्होंने परम्परागत खेती छोड़ फूलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

किसान ओमवीर मलिक ने कहा कि वह पिछले 15 वर्षों से फूलों और सब्जियों की खेती कर रहें हैं. जहां एक तरफ उन्हें इस तरह की खेती से कम लागत और मेहनत में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है. वहीं सरकार द्वारा उन्हें प्रत्येक किस्म की सब्जियों और फूलों की फसलों पर अनुदान भी मिलता है. उन्होंने आगे कहा कि  किसानों को परम्परागत खेती छोड़ इस तरह की खेती की तरफ रुख करना चाहिए, ताकि उनकी आर्थिक दशा अच्छी हो सके.

कम लागत, अच्छा मुनाफा
किसान ओमवीर मलिक ने बोला कि 3 एकड़ में गुलदाबरी, स्टॉक, रजनीगंधा इत्यादि फूलों एवं प्राकृतिक सब्जियों की खेती कर रहें हैं. यह खेती वह अपनी जमीन पर पिछले 15 वर्षों से करके अच्छा  मुनाफा कमा रहे हैं. इससे पहले वो भी सभी किसानों की तरह परम्परागत खेती करते थे. जिसमें मेहनत और लागत ज्यादा होती और मुनाफा न के बराबर था. अब उन्हें कम मेहनत और लागत में अच्छा मुनाफा मिल रहा हैं. उन्हें समय समय पर सरकार द्वारा भी सहयोग मिलता रहता है.अपनी फसल को गाजीपुर दिल्ली फूलों की मंडी में स्वयं बेचते हैं. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है.

पूरे परिवार का सहयोग
किसान ओमवीर सिंह ने बताया कि वह 3 एकड़ में फूलों की खेती कर रहे हैं.  नेट के अंदर ड्रिप बनाकर फूलों कि पौध को लगाया जाता है वा खेत में क्यारी बनाकर फूलों की पौध की जाती है. क्यारी की लंबाई 15 फुट होती है. फूलों में पानी कि मात्रा कम दी जाती है. नेट हाउस के अंदर बनी क्यारी में ड्रिप लगाई जाती है. ताकि बूंद बूंद करके अपनी फूलों में लगता रहे. फूलों की अच्छी फसल होने के लिए उनमें यूरिया और खाद का इस्तेमाल भी किया जाता हैं. किसानों के लिए मिसाल बन रहे किसान ओमवीर सिंह कि इस मेहनत के पीछे पूरे परिवार की मेहनत है.

4-5 लाख रुपए मुनाफा
उन्होंने आगे बताया कि उनकी आजीविका का अच्छा साधन है, जिससे वह सालाना एक एकड़ से 4 से 5 लाख रुपये तक मुनाफा कमा लेते हैं.अब समय आ गया है कि किसान परम्परागत खेती छोड़ कर फूलों की खेती करें. ताकि कम मेहनत में ज्यादा मुनाफे से उनकी आर्थिक स्तिथि मजबूत हो सके. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा उन्हें सभी किस्मों पर सब्सिडी दी जाती है. जिससे उन्हें फसल की बिजाई के समय किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है. इसके लिए प्रदेश की मनोहर लाल सरकार बधाई की पात्र है.

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