दीपक कुमार/बांका. रासायनिक खाद के चलते किसानों की कृषि और उद्यानिकी फसलों का उत्पादन जरूर बढ़ गया है, लेकिन इस खेती में जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ रासायनिक तरीके से उगाई गई फल और सब्जियां खाकर आम आदमी कई बीमारियों को आमंत्रण भी दे रहे हैं. ऐसे में बांका जिला के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत कटहरा गांव के किसान राजेश कुमार महतो परंपरागत खेती को छोड़कर बेहद सीमित रासायनिक खाद का प्रयोग कर सब्जी की खेती कर रहे हैं. खेती में जैविक खाद के तौर पर मवेशी का गोबर और पुआल को सड़ाकर उसका अवशिष्ट खेतों में डालते हैं. जिससे उत्पादन क्षमता भी बेहतर होती है और फसल भी मजबूत होती है. राजेश महतो इस बार करेला और प्याज की खेती पांच एकड़ में कर रहे हैं. किसान राजेश की खासियत यह है कि फसलों का प्रबंधन बेहतर तरीके से करते हैं. इसलिए इनके खेत में उपजे सब्जी को अच्छी कीमत मिल जाती है.
बांका के अमरपुर प्रखंड स्थित कटहरा गांव को सब्जी का हब माना जाता है. इस गांव के अधिकांश लोग खेती-किसानी ही करते हैं. उन्हीं में से एक राजेश कुमार महतो हैं, जो पांच एकड़ में सिर्फ सब्जी की खेती करते हैं. इसके अलावा अपनी जमीन के कुछ हिस्से में रबी फसल की भी बुआई करते हैं. जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त कर लेते हैं. राजेश ने बताया कि पारंपरिक खेती से उतना मुनाफा नहीं होता है, जितना कि सब्जी की खेती से हो जाता है. सब्जी की खेती में एक खर्चे पर दो प्रकार की फसलों को लगाकर मुनाफा कमाते हैं. उन्होंने बताया कि प्याज की खेती के साथ-साथ पगडंडी पर करेला का भी बीज रोपण कर देते हैं. जब तक प्याज तैयार होता है तब तक करेला का लत फैल जाता है और फलन भी शुरू हो जाता है. करेला रोपाई के 45 दिनों के बाद से ही फलने लगता है. इससे एक ही खर्च पर दो प्रकार की फसल मिलने के साथ मेहनत भी कम लगती है.
यह भी पढ़ें- यहां बनती है सबसे मजबूत ईंटें, 50 किमी क्षेत्र में है 235 भट्टे, कई जिलों में रहती है मांग, जानें खासियत
सालाना पांच लाख से अधिक का मुनाफा
राजेश कुमार महतो ने बताया कि प्याज और करेले की खेती के अलावा सीजन के अनुसार छोटे-छोटे टुकड़े में टमाटर, मिर्च गाजर, आलू, बंध गोभी, फुलगोभी और कद्दू की भी खेती करते हैं. इन सब्जियों की खासियत यह है कि 60 से 65 दिनों में फलन शुरू हो जाता है. जब एक सब्जियों का खेत से निकलना शुरू होता है तो तीन से चार महीने तक लगातार जारी रहता है. सब्जी की बिक्री करने की भी टेंशन नहीं रहती है. स्थानीय व्यापारी खेत पर आकर सब्जी लेकर जाते हैं. सब्जी की खेती का कारोबार नगद में होता है. इसलिए कोई परेशानी भी नहीं होती है. किसान सब्जी की खेती कर कम समय में मोटी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में करेले का रेट अच्छा मिल जाता है जो 30 से 35 रुपए किलो तक बिक जाता है. इसलिए इसकी खेती करते हैं. इसके अलावा मशरूम का भी उत्पादन करते है. मशरूम 200 से लेकर 250 रुपए किलो तक बिक जाता है. उन्होंने बताया कि सब्जी की खेती से सालाना 5 लाख से अधिक का मुनाफा कमा लेते हैं.
.
FIRST PUBLISHED : February 6, 2024, 13:39 IST