यही है वो गांव, जिसे पांडवों को देने से दुर्योधन ने किया इनकार, जाने इतिहास

जितेंद्र बेनीवाल/ फरीदाबाद: तिलपत गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दुर्योधन से जो पांच गांव मांगे थे, उनमें एक तिलपत गांव भी था. इसलिए इस गांव में पांडवों की भी पूजा की जाती है. वहीं, इस गांव में भगवान कृष्ण के भक्त संत बाबा सूरदास भी सन् 1930 में तिलपल गांव आए थे.ॉ

वहीं, मंदिर के पुजारी ने कहा कि महाभारत काल में पांडवों ने दुर्योधन से जो पांच गांव मांगे थे. उनमें एक तिलपत भी था. 1930 में गांव में संत बाबा सूरदास आए थे. उस समय गांव में जवान महिलाएं विधवा हो जाती थीं. तब बाबा ने गांव के लोगों को ‘श्री राधा वल्लभ, श्री हरि वंश, श्री वृदांवन श्री मनचंद’ मंत्र दिया और इसका बार बार स्मरण करने को कहा. इस मंत्र के असर से गांव सुखी व संपन्न हो गया. बाबा सूरदास गांव में काफी लंबे समय तक रहे. फरीदाबाद में महावतपुर, पलवली, वजीरपुर, मवई और बल्लभगढ़ गांवों में भी बाबा गए. सभी जगह उनके मंदिर बने हुए हैं. आज भी बाबा द्वारा बताए गए मंत्र का लोग श्रद्धापूर्वक उच्चारण करते हैं. बाबा के जब प्राण छोड़ने पर अंतिम संस्कार के बाद लोग उनकी राख गांव में लेकर आए और यहां बाबा का समाधि भी लगाई गई थी.

महिलाएं विधवा क्यों होने लगी
पुजारी ने बताया कि 1930 के आसपास इस गांव की महिलाएं युवा अवस्था में विधवा होने लगी. इस कष्ट को दूर करने के लिए 1931 में श्री किशोरी शरण जी (बाबा सूरदास) गांव में बंसी वाले के तालाब पर प्रगट हुए. यह वह जगह है कि जहां द्वापर युग में श्रीकृष्ण पांडवों के साथ गांव में तृप्ति यज्ञ करने आए थे. इस गांव में बाबा सूरदास के मंदिर के अलावा बाबा की समाधि, बंगाली बाबा की समाधि है. हर मंगलवार को यहां पर मेला लगता है, जो दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं. वहीं श्रद्धालुओं ने बताया किबाबा ने यहां के लोगों को राधा वल्लभ श्री हरी वंश, श्री वृंदावन, श्री वनचंद का मंत्र दिया था. आज भी इस मंत्र के साथ भक्तजन संकीर्तन करते हैं.

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