यहां 65 साल की महिला हाथ बेच रही टेस्टी-टेस्टी लिट्टी, BJP नेता भी हैं स्वाद के दीवाने

शिखा श्रेया/रांची. वैसे तो आपने लिट्टी चोखा झारखंड की राजधानी रांची के सड़कों में कई जगह खाया होगा, लेकिन आज हम आपको 65 साल की राजमुनि देवी के हाथों से बने लिट्टी चोखा के बारे में बताने वाले हैं. जिनके हाथ की बनी हुई लिट्टी खाने के लिए भाजपा नेताओं की लाइन लगी रहती है व लोग लिट्टी का स्वाद लेने दूर-दूर से आते हैं.

दरअसल, राजमुनि देवी मूल रूप से झारखंड के लोहरदगा की रहने वाली है. राजमुनि ने लोकेल 18 को बताया कि पूरे परिवार लोहरदगा में रहता था, लेकिन काम के सिलसिले में अब रांची शिफ्ट हो गए हैं. इससे पहले मैं मेरे बेटे के साथ मिलकर कचोरी और सब्जी बेचा करती थी, लेकिन फिर देखा की लोगों में लिट्टी चोखा का क्रेज़ अधिक है. इसीलिए अपने हाथों से लिट्टी बनाना शुरू किया और आज हर दिन कम से कम 500 से 600 लिट्टी पीस बिक जाते हैं.

मिट्टी के चूल्हे में बनकर तैयार होती है लिट्टी
राजमुनि बताती हैं कि मिट्टी के चूल्हे और कोयले की धीमी आंच पर लिट्टी बनकर तैयार होती है. लिट्टी बनाने के क्रम में हम बिल्कुल साधारण मसाले का ही प्रयोग करते हैं. जैसे गोल मिर्च, अजवाइन, मंगरेला, नींबू, अदरक और लहसुन. हम और कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं डालते. यह सारे सादे मसाले से ही स्वाद निखर कर रहता है. लिट्टी का आटा गुथ्ते समय कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है जैसे आटा थोड़ा कड़ा होना चाहिए. लिट्टी चोखा के साथ टमाटर की चटनी और धनिया पता, अदरक व लहसुन की तीखी चटनी .इसके अलावा फ्राई मिर्च और दो प्याज के टुकड़े दिए जाते हैं.

भाजपा नेताओं की है पहली पसंद
राजमुनि देवी बताती हैं कि मेरा स्टॉल बीजेपी ऑफिस के बाहर है. इसीलिए हर दिन करीब 100 से 150 पीस लिट्टी तो बीजेपी कार्यालय ही जाती है. बड़े-बड़े नेताओं से लेकर छोटे-मोटे कार्यकर्ता भी मेरे स्टॉल में आकर खाते हैं. रघुवर दास, राहुल पांडे, संजय सेठ व प्रतुल सहदेव जैसे नेताओं के लिए लिट्टी पैक होकर कई बार जाती है. अगर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हो गई तो नेता व मीडिया बंधु के लिए यही से पैक होकर लिट्टी जाती है.

30 रुपए में दो पीस लिट्टी
कीमत की बात करें तो यहां पर आपको शुद्ध घी वाला लिट्टी 30 रुपए में दो पीस और सादा लिट्टी 20 रुपए में दो पीस मिलेगा. राजमुनि देवी बताती हैं कि कई बार लोग बढ़ती उम्र होने पर घर में बैठ जाते हैं. लेकिन जब तक हाथ पैर चलता है. तब तक काम करते रहना चाहिए. मेरी उम्र 65 साल हो गई है. लेकिन मैं अभी भी लिट्टी बनाती हूं और लोग कहते हैं कि आपके हाथ का लिट्टी खाकर हमें अपनी दादी के हाथ की लिट्टी याद आ जाती है. वही, यहां के आसपास लोग या फिर नेतागण कोलकाता या दिल्ली जाते हैं तो फ्लाइट में अपने साथ लिट्टी पैक करा कर भी ले जाते हैं.

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