यहां 12 वीं शताब्दी से महानवमी को 4 किलो सोने से किया जाता है मां का श्रृंगार

अनूप पासवान/कोरबा : रतनपुर के मां महामाया मंदिर में 52 शक्तिपीठों में से एक पर नवमी तिथि को कन्या पूजन के साथ नवरात्र पर्व का समापन होता है. मंदिर परंपरा के अनुसार, इस दिन मां महामाया का राजसी श्रृंगार किया गया है, और लगभग 4 किलो सोने के साथ मां को सजाया गया है. इस दौरान, भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. वहीं मां महामाया के दर्शन करने के लिए भक्त बड़ी उम्मीद से आते हैं.

भैरव बाबा के बिना मां के दर्शन अधूरे

रतनपुर के महामाया मंदिर में नवमी तिथि को मां महामाया का राजश्री श्रृंगार किया गया, इसके साथ ही लगभग 4 किलो सोने की आभूषणों से देवी मां का श्रृंगार किया गया है. माता को मनाने के लिए मंदिर प्रबंधन विशेष अनुष्ठान भी किया गया था. यहां कि मान्यता है कि बिना भैरव बाबा के दर्शन किए मां महामाया के दर्शन अधूरे रहते हैं, इसलिए भक्तों को भैरव मंदिर में भैरव सहस्त्रनाम सहित विभिन्न मंत्रों से आहुतियां देनी होती हैं.

मां सरस्वती की भी की जाती है यहां पूजा

इस मंदिर का निर्माण 12वीं और 13वीं शताब्दी में हुआ था और यह मातारानी के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है. इस मंदिर में मां लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा की जाती है, और कलचुरी शासन काल के दौरान इसका निर्माण हुआ था. राजा रत्न देव ने इस मंदिर में देवी काली के दर्शन किए थे, जिसके बाद से लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है और वो इसे बड़े श्रद्धा भाव से आते हैं.

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