यहां है भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर, 15 अगस्त पर होता है दूर्वा अभिषेक, 38 साल पुरानी है परंपरा

शादाब/मंदसौर. विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में रविवार को हिंदू पंचांग के आधार पर दूर्वा अभिषेक कर स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं के द्वारा विशेष पाठ पूजा कर देश की समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई. दूर्वा अभिषेक एक अनूठी परंपरा है जो 38 सालों से चली आ रही है, दूर्वा अभिषेक की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई जो 38 साल पूरे होने के बाद भी निरन्तर जारी है.

अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में पुरोहितों और यजमान की संस्था ‘ज्योतिष एवं कर्मकांड परिषद’ के संस्थापक पंडित उमेश जोशी ने बताया कि भारत देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था, तब हिंदू पंचांग के मुताबिक श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी. रविवार को श्रावण मास कृष्ण चतुर्दशी होने की वजह से परंपरा के अनुसार अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में दूर्वा अभिषेक कर स्वतंत्रता दिवस मनाने के साथ ही पुरोहितों के द्वारा अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर भारत देश के हित में प्रार्थना की.

दर्शन के लिए लगती है भीड़
दिल्ली के इस जगह उठाए राजस्थानी ज़ायका का लुफ्त, जिसकी कीमत मात्र इतनीइस दौरान पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कैलाश चंद्र भट्ट, पंडित सुरेंद्र आचार्य, पंडित राकेश भट्ट, पंडित श्याम पंड्या सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे. सावन को मद्देनजर रखते हुए विश्व प्रसिद्ध अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में रोज़ाना बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंच रहे हैं. इस बार अधिक मास होने के चलते दो माह सावन होने से भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है.

 अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ
दूर्वा अभिषेक में पूरे भारत में केवल अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में ही भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का विशेष श्रंगार कर हिंदू पंचांग के अनुसार स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्साह भी देखने को मिलता है. प्रतिमा और गर्भ गृह को सजाने के लिए 2 से 3 क्विंटल तक दूर्वा का उपयोग होता है. साथ ही श्रंगार में गोमती चक्र, हरे कद्दू के बीज, हरी इलायची और मावे सहित भांग का इस्तमाल होता है चंदन के लेपन पर शमी पत्र भी लगाए जाते हैं.

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