यहां है एड्स मरीजों की अनोखी कॉलोनी,बड़े प्रेम से रहते हैं 100 से अधिक परिवार

राहुल दवे/इंदौर. अक्सर देखा गया है कि एड्स से पीडि़तों मरीजों से भेदभाव किया जाता है. हाल ही में एमवाय अस्पताल में भी इस बीमारी से पीडि़त को डॉक्टर ने पीट दिया था. ऐसे मरीजों के लिए मप्र के इंदौर में अनोखी और विशेष कालोनी बनाई गई है, जहां केवल एड्स के मरीज ही रहते हैं. सौ से अधिक परिवारों की इस कालोनी में सभी मरीज सद् भाव से रहते हैं. यहां न केवल उन्हें बीमारी से लडऩे में मदद मिलती है, बल्कि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं रहती.शहर के बाहरी इलाके रिंगरोड के समीप बनी इस कालोनी को गैर सरकारी संगठन मध्यप्रदेश स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ ने बनाया है. इसका मुख्य उद्देश्य एड्स से जंग है. जहां मरीजों को समाज की अस्पृश्यता, ताने और तिरस्कार भी नहीं सहना पड़ रहा.

पुनर्वास कार्यक्रम का हिस्सा है कालोनी
मध्यप्रदेश स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ द्वारा बसाई गई यह कालोनी एक पुनर्वास कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे 2003 में शुरू किया था.एक दशक से भी अधिक समय पहले एचआइवी पाजीटिव रोगियों वाले पहले परिवार को यहां बसाने के लिए लाया गया था।

नहीं है किसी को कोई दिक्कत
यहां रहने वाले मरीजों में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं है. कालोनी में न केवल मरीजों का उपचार किया जा रहा है, बल्कि उन्हें एड्स से जंग लडऩे में मानसिक तौर भी तैयार किया जाता है, जिससे वह निश्चिंत होकर अपना उपचार कराते हैं और समय-समय पर सभी दवाइयां भी लेते हैं.

एड्स से जंग में कारगर
इस कालोनी में रहने वाले मरीजों का कहना है कि हमारी बीमारी के बारे में पता चलने के बाद समाज से बहिष्कृत होने का डर था, आसपास रहने वाले लोगों में भी हमारे प्रति घृणा थी. ऐसे में इस बीमारी से लडऩे यानि एड्स से जंग जीत पाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन अब कालोनी में आकर सब कुछ सामान्य है और बेहतर इलाज भी हो रहा है.

लगातार घट रहे मरीज
शहर में वर्ष 2012 में जहां 901 एड्स संक्रमित लोग सामने आए थे, वहीं 2023 में उनकी संख्या घटकर 505 रह गई है.यह एड्स से जंग में इंदौर की जीत है.

इसलिए कम हुए मरीज
दरअसल इंदौर में एड्स जैसी लाइलाज बीमार के मरीज लगातार घटने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण लोगों में जागरूकता का बढऩा है. साथ ही अब रक्त संबंधी जांचों की स्थिति भी सुदृढ़ हुई है, इसलिए किसी को भी रक्त चढ़ाने से पहले कई स्तर पर रक्त की जांच होती है. साथ ही लोग अब सिरींज और शेविंग किट के अलग-अलग उपयोग को लेकर भी समझदारी बरतने लगे हैं.

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