उधव कृष्ण/पटना. दुर्गा पूजा के अवसर पर जगह-जगह विभिन्न मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. पर आज इस खबर में हम जिन मूर्तियों का जिक्र कर रहे हैं, वे आम मूर्तियों से अलग हैं. दरअसल, पुरानी पटना के भट्टी इलाके में स्थित नुरुद्दीनगंज मोहल्ले में पिछले 38 सालों से बिना किसी आधुनिक मशीन के यह अनूठा प्रयोग होता चला आ रहा है.
मंदिर परिषद के पदाधिकारी और सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि तकरीबन एक महीने पहले से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है. इसमें बड़े-छोटे, जवान और बुजुर्ग सभी कंधे से कंधा मिलाकर दिन-रात काम करते हैं. यह प्रथा पिछले 38 सालों से अनवरत जारी है.
इस बार स्वयंवर का दृश्य किया गया है जीवंत
श्री भारत मंदिर विकास परिषद के द्वारा प्रत्येक साल दशहरा में अलग-अलग थीम पर मूर्तियां बनाई जाती हैं. झांकी के वयोवृद्ध डायरेक्टर विजय कुमार पाल ने लोकल 18 को बताया कि गत 38 साल से इसी प्रकार चलती-फिरती मूर्तियां यहां आपसी सहयोग से बनाई जा रही हैं. इसके लिए कई बार भारत मंदिर परिषद को अवॉर्ड भी दिया जा चुका है. सबसे खास बात यह है कि चलती फिरती मूर्तियां बनाने वालों में कोई भी बाहरी लोग शामिल नहीं होते. सभी मोहल्ले वासियों के द्वारा ही कारीगरी की जाती है और मूर्तियों को जीवंत कर दिया जाता है.
10 लाख से ज्यादा लोग करते हैं दर्शन
राजीव रंजन बताते हैं कि वे अपने बचपन से इसे देखते आ रहे हैं. इन मूर्तियों को बनाने और चलाने के लिए देशी जुगाड़ का उपयोग किया जाता है. हालांकि, राजीव की माने तो पहले मशीन काफी भारी हुआ करती थी. पर, आजकल मशीनें हल्की की गई हैं. राजीव रंजन आगे बताते हैं कि यहां तकरीबन 10 लाख लोग तीन दिनों में दर्शन को पहुंचते हैं. इस कारण प्रशासन द्वारा विशेष तैयारी की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2023, 13:08 IST