दीपक पाण्डेय/खरगोन.इंसानों के बीच होने वाला दंगल तो आप कई बार देख चुके होंगे, लेकिन आज हम आपको भैंसों (पाड़ों) की बीच होने वाले दंगल के बारे में बता रहे है. दरअसल, यह अनोखी परंपरा विगत कई वर्षों से मध्य प्रदेश में निमाड़ अंचल के खरगोन जिले में निभाई जा रही है. जिले के अलग – अलग शहरों में पशुओं के बीच यह दंगल आयोजित होता है. जिसमें पशु पालक अपने पाड़ों को कुश्ती के लिए मैदान में उतारते है.
पाड़ो को लड़ाने की यह अनोखी परंपरा आज भी अनवरत जारी है. परंपरा के तहत पड़वा के दिन महेश्वर में दंगल का आयोजन हुआ था. जहां पाड़ों की तीन जोड़ आपस में भिड़ी थी. वहीं 23 नवंबर को देव उठनी ग्यारस के दिन यह दंगल मंडलेश्वर में हुआ, जिसे देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. नगर के कसरावद रोड़ पर नर्मदा नदी के किनारे पशु पालक सुशील कुमार वाजपाई (पंडित जी) ने अपने पाड़ें कायरा को मैदान में उतारा तो वहीं रिंकू बाबा ने अपने पाड़ें राजू किंग को कुश्ती के लिए मैदान में उतारा. कायरा और राजू के बीच जमकर भिड़त शुरू हुई और मात्र ढाई मिनट में ही राजू मैदान छोड़ दुम दबाकर भाग निकला. इस दंगल में पंडित जी के पाड़ें कायरा की जीत हुई.
इस दिन होता है दंगल
दंगल में विजेता हुए कायरा के मालिक पशु पालक सुशील कुमार वाजपाई बताते है की पशुओं का यह दंगल आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से यहां होते आ रहा है. पड़वा और देव उठनी ग्यारस पर मंडलेश्वर एवं महेश्वर में यह दंगल होता है. पशु पालक पाड़ों को मैदान में लेकर आते है. यहां पाड़ो के बीच भिड़त होती है. इस दंगल में पाड़ों की कई जोड़ आपस में भिड़ती है.
इसलिए होता है पाड़ा दंगल
निमाड़ के इन शहरों में परंपरा निभाने के पीछे कोई खास उद्देश नहीं होता, सिर्फ लोगों के मनोरंजन के लिए दंगल आयोजित किया जाता है. दंगल में लड़ाने के लिए पाड़ों को खास तौर पर पशु पालकों द्वारा तैयार करके लाया जाता है. विजय होने वाले पाड़ें का विजय जुलूस मैदान से घर तक निकालते है.
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FIRST PUBLISHED : November 23, 2023, 14:36 IST