शशिकांत ओझा/पलामू. झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत मेदिनीनगर में कोयल नदी किनारे दुर्गा बाड़ी में बंगाली पद्धति से माता की पूजा की जाती है. यह परंपरा 109 साल पुरानी है. जिसका आज भी उतनी ही श्रद्धा भक्ति के साथ निर्वहन किया जा रहा है. यहां माता दुर्गा को सोने-चांदी के आभूषण से सजाने का रिवाज है. जिसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.
आयोजक सैकत चटर्जी ने लोकल 18 को बताया कि यहां की प्रतिमा काफी खास होती है. यहां की प्रतिमा सुकुमार जी द्वारा चार पीढ़ियों से तैयार की जा रही है. वहीं खास तौर पर षष्टी के दिन मां को स्वर्ण और चांदी के आभूषण से सजाया जाता है. यहां 109 सालों से पूजा होती आ रही है. शुरू से गहनों से माता को सजाने की परंपरा है. मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां आभूषण दान करते हैं. जिसे दुर्गा बाड़ी एसोसिएशन द्वारा रजिस्टर में मेनटेन किया जाता है.
बैंक में रहते हैं गहने
ये आभूषण साल भर बैंक के लॉकर में रहते हैं. वहीं दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान इन्हें निकाला जाता है. दुर्गा पूजा में षष्टी के दिन लॉकरसे निकालकर मां को सजाया जाता है. वहीं विसर्जन से पहले मूर्तिकार इन आभूषणों को निकालकर नकली आभूषण पहनाते हैं. उसके बाद मां का विसर्जन किया जाता है. वहीं आभूषण को पोलिश कर फिर से बैंक के लॉकर में रख दिया जाता है.
6 से 7 किलो के आभूषण से सजती है मां
उन्होंने बताया कि जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब एक-दो आभूषण से मां को सजाया जाता था. मगर आज 6 से 7 किलो सोने चांदी के आभूषण से मां को सजाया जाता है. जिसमें सोने की मां दुर्गा की आंख, बिंदिया, नथियां, बाला और चांदी के गले के तीन हार, सीताहार, मांग टीका, कमरधनी, ब्रासलेट, कंगन, पायल, खर्ग, चांद माला, बाजूबंद, पाजेब समेत अन्य आभूषण पहनाया जाता है. वहीं मां सरस्वती और लक्ष्मी की भी सोने के आंख, नथिया और बिंदिया के साथ चांदी के हार, मंगलसूत्र, मांटीका से सजाया जाता है. कार्तिक और गणेश का टीका भी सोने का होता है. सुरक्षा के लिहाज से यहां जगह-जगह सीसीट वी कैमरे लगाए गए हैं. मां की प्रतिमा तक श्रद्धालुओं के लिए विशेष बेरिकेटिंग किया जाता है. समिति के लोग इस दौरान खास निगरानी रखते हैं. वहीं मौके पर पुलिस बल की भी तैनाती होता है.
.
Tags: Dharma Aastha, Jharkhand news, Latest hindi news, Local18, Navratri, Palamu news
FIRST PUBLISHED : October 21, 2023, 14:20 IST