यहां शाम के बाद मिलते हैं दूध के पेड़े, सर्दी में लगती है स्वाद के दीवानों की लाइन

रिपोर्ट – निखिल स्वामी

बीकानेर. राजस्थान का बीकानेर खाने-पीने के शौकीनों का शहर है. सुबह का नाश्ता हो या शाम का रिफ्रेशमेंट या फिर भोजन की ही बात क्यों न करें, बीकानेर में खाने की चीजें एक से बढ़कर एक मिलती हैं. खासकर अगर सर्दी के दिनों की बात की जाए, तो इस मौसम में शाम के समय यहां एक स्पेशल चीज का जिक्र जरूरी है, वह है दूध से बने स्पेशल पेड़े.

आमतौर पर पेड़े में दूध के साथ मावा डाला जाता है, लेकिन यहां सिर्फ दूध के पेड़े बनते हैं, जो सर्दी में ही खाए जाते हैं. इन पेड़ों की दुकानें भी कम लगती हैं. शाम के समय इन दुकानों में स्पेशल पेड़े खाने के लिए भारी भीड़ नजर आती है. इन पेड़ों के दीवाने देशी भी हैं और विदेशी पर्यटक भी.

दुकानदार सुशील ओझा ने बताया कि इन पेड़ों में दूध, इलायची, केसर, जायफल, जावित्री सहित कई तरह की चीजें डाली जाती हैं. रोजाना 3 से 4 किलो पेड़े बनाते हैं. पेड़े बनाने में दो से तीन घंटे का समय लगता है. गर्मी में इन पेड़ों का फ्लेवर बदल जाता है. इनमें जावित्री जायफल की जगह गुलाबजल डाला जाता है. सुशील ने बताया कि ये पेड़े सीमित मात्रा में बनाए जाते हैं और कुछ ही समय में खत्म हो जाते हैं. यहां दो से तीन दुकानों में रोजाना 20 से 30 किलो पेड़े बनाए जाते हैं. इन पेड़ों का रंग भी सफेद के अलावा ब्राउन, हरा और लाल होता है.

खाने में स्वादिष्ट, साइड इफेक्ट नहीं
दुकानदार सुशील ओझा ने बताया कि इन पेड़ों की कीमत की बात की जाए तो 120 रुपए से 130 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ये बेचे जाते हैं. उन्होंने बताया कि दूध के पेड़े खाने में तो स्वादिष्ट होते ही हैं, इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता. चूंकि इसमें किसी भी तरह का हानिकारक तत्व नहीं मिलाया जाता, इसलिए शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता.

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