गुरदीप सिंह/लुधियाना. देश भर में दशहरे की धूम है.जहां एक तरफ पुरे भारत में विजयदशमी के दिन रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले अग्निभेंट किए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर इसी पावन अवसर पर पंजाब के लुधियाना स्थित पायल में रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि उसकी विधिवत पूजा की जाती है और ये पूजा महज कुछ देर की नहीं बल्कि पूरा दिन की जाती है.जानकारों की मानें तो यह प्रथा 1835 से चलती आ रही है. जिसे दूबे बिरादरी के लोग निभाते आ रहे हैं.इतना ही नहीं इस विरादरी के लोग देश-विदेशों से यहां आकर रामलीला और दशहरा मेला का आयोजन करते हैं.
भारत एक विभिन्नताओ वाला देश है.एक ओर जहां विजयदशमी के दिन पूरे देश में रावण का पुतला जला कर हर साल बुराई पर अच्छाई की विजय मनाई जाती है. कुछ स्थानों पर इससे बिल्कुल विपरीत तरह का दशहरा मनाया जाता है. पंजाब के लुधियाना में स्थित पायल में हर साल रावण की 25 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित कर लोग यहां रावण की पूजा करते है.लुधियाना के पायल में 1835 से दुबे वंशज की तरफ से विजय दशमी को रावण की पूजा की जाती है. विजय दशमी से पहले दुबे वंशजो की तरफ से यहां विधिवत तरीके से रामलीला भी की जाती है, लेकिन कोरोना के चलते रामलीला का आयोजन नहीं किया जा रहा.
श्री राम मंदिर का इतिहास
पण्डित जी का कहना है कि ये मंदिर 1835 से बनाया गया था और तब से ही दुबे परिवार के वंशजों की तरफ से यहां रामलीला सहित विजयदशमी के दिन रावण की पूजा की जाती है. दुबे परिवार के सदस्य ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर को 1835 में उनके पूर्वजों ने बनवाया था तब से ही उनके परिवारिक सदस्य पंजाब के अलग-अलग शहरों और विदेश यहां आकर रामलीला और दशहरा मेला का आयोजन करते हैं.दशहरा पर देश में रावण दहन होगा और यहां रावण की पूजा होगी.
रावण की प्रतिमा को चढ़ाई जाती है शराब
यहां पर रावण की प्रतिमा को शराब चढ़ाई जाती है. बकरे की सांकेतिक बलि देकर उसके खून से रावण का तिलक किया जाता है. यहां मान्यता है कि अगर किसी औलाद नहीं हो रही हो तो इस मंदिर में सच्चे मन से माथा टेकने के उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2023, 14:49 IST