शुभम मरमट/उज्जैन. महाकाल की नगरी उज्जैन, जहां के कण-कण में महादेव का वास है. यहां हर दिन चमत्कार देखने को मिलते है. शिव की इसी नगरी में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां स्वयं शिव के अवतारी काल भैरव भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. यहां दूर-दूर से भक्त इसी आस से आते है की भगवान के साक्षात स्वरूप के दर्शन हो और यहां होने वाले मदिरा पान के चमत्कार के साक्षी बन सके.
उज्जैन के भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थापित इस मंदिर में शिव अपने भैरव स्वरूप में विराजे हैं. वैसे तो भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुण प्रधान रूप है, लेकिन कालभैरव अपने भक्त की करूण पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए दौड़े चले आते हैं. काल भैरव के इस मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का ही प्रसाद चढ़ता है. मंदिर के पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को एक प्लेट में उढ़ेल कर भगवान के मुख से लगा देते हैं और देखते ही देखते भक्तों की आंखों के सामने ये प्रसाद भगवान भैरोनाथ पी जाते हैं.
मदिरा पान करवाने से होती है मनोकामना पूर्ण
ये ऐसा चमत्कार है, जिसे देखने के बाद भी विश्वास करना एक बार के लिए कठिन हो जाता है. मदिरा से भरी हुई प्लेट पलभर में खाली हो जाती है. जब भी किसी भक्त को मुकदमे में विजय हासिल होती है तो दरबार में आकर मावे के लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं. तो वहीं किसी भक्त की सूनी गोद भर जाती है तो बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग लगाते हैं.
नगर का सेनापति भी हैं काल भैरव
अघोरी जहां अपने ईष्टदेव की आराधना के लिए साल भर काल भैरों की कालाष्टमी (भेरोंअष्टमी) की प्रतीक्षा करते हैं. वहीं सामान्य भक्त भी इस दिन उनका दर्शन कर सर झुका कर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते. शहर से आठ किलोमीटर दूर कालभैरव के इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अगर कोई उज्जैन आकर महाकाल के दर्शन करे और कालभैरव न आए तो उसे महाकाल के दर्शन का आधा ही लाभ मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 12:35 IST