अर्पित बड़कुल /दमोह: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व दमोह जिले वासियों के लिए इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि बांदकपुर मे स्थित जागेश्वरनाथ धाम और खर्रा घाट में विराजे भगवान भोले नाथ के इस स्थान को स्वयंभू धाम भी कहा जाता है. यहां करीब 100 सालों से परम्परागत मेलों का आयोजन होते आ रहा है. इस दिन शहर के घण्टाघर पर बुंदेलखंड इलाके की मशहूर स्वीट डिस गढ़िया घुल्लो व्यंजन लोगों को खाने मिलता है. यह मिठाई सिर्फ साल में 1 बार ही बाजारों में बिकता हैं. जिसे खरीदने के लिए लोग काफी दूर दूर से आते है.
मकर संक्रांति के मौके पर शक्कर से बनी इस मिठाई की पहले पूजा की जाती है. जिसके बाद ही परिवार के लोग इसे आपस में बांटते है. मकर संक्रांति पर करीब 6 दिनों तक ही गढ़िया घुल्ला बाजारों मे बिकते है. इसके बाद यह मिठाई बाजारों से गायब हो जाती है.जिसे सिर्फ 40 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है. यह मिठाई प्राचीन काल से चली आ रही जो परंपरा आज भी बुंदेलखंड में निभाई जाती है .इस मिठाई को खरीदने आए ग्राहक नीरज सोनी ने कहा कि वो गढ़िया घुल्ला खरीदने आए हैं.जिन्हें खरीदने के लिए उनकी मां और बहिन ने बोला था.
महाभारत काल से है,इस मिठाई का नाता
बीते पांच पीढ़ियों से इस शक्कर की मिठाई गढ़िया घुल्ले को बेचने वाले प्रसन्न नेमा ने बताया कि मकर संक्रांति के पर्व पर आपने तरह तरह की मिठाइयों का स्वाद चखा होगा.लेकिन जो प्योर शक्कर से तैयार गढ़िया घुल्ला स्वीट्स डिस है.ये मिठाई सिर्फ बुंदेलखंड के सागर, दमोह और छतरपुर जिले में खाने मिलेगी. बुजुर्ग बताते थे कि महाभारत काल में जब मिठाइयों का इतना चलन नहीं था जो इस गढ़िया घुल्ला को गरीबों की मिठाई कहा जाता था तभी से मिठाई चली आ रही है. जो सिर्फ मकर संक्रांति पर ही बाजारों मे आपको मिलेगी. जिसे खरीदने के लिए लोग काफी दूर दूर से आते हैं. मकर संक्रांति के पर्व पर गढ़िया घुल्ला और खीर खाने का महत्व बताया गया है.
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FIRST PUBLISHED : January 15, 2024, 20:25 IST