रुपांशु चौधरी/हजारीबाग. अब तक बिना मुर्गी के अंडों से चूज़ा बनने की प्रक्रिया असंभव सी थी. लेकिन बदलते इस टेक्नोलॉजी के दौर में नए नए तकनीकों ने इसका उपाय भी खोज लिया है. इंक्यूबटर मशीन आ जाने कारण अब लोग अंडे को बिना मुर्गी के मदद से ही चूज़े में तब्दील कर रहे है.
हजारीबाग के सदर प्रखंड के सखियां पंचायत कर दुग्धा गांव के एनीमल फार्म पर इन मशीनों के माध्यम से मुर्गी की अंडो को चूज़े बना कर बेचा जाता है. एनिमल फार्म के संचालक डॉ आलोक ने कहा कि वो पेशे से डॉक्टर है.बचपन से ही खेती बाड़ी में रुचि होने के कारण घर की खाली पड़ी पुशतैनी जमीन पर मुर्गा पालन काम कर रहे है. उनके फॉर्म पर दो प्रजाति के मुर्गा मुर्गी उपल्ब्ध है. जिसमें पहला कड़कनाथ और दूसरा सोनाली है.
इंक्यूबटर मशीन का सहारा लेकर अंडो से चूज़ा तैयार
डॉ आलोक आगे बताते है कि फार्म में 5000 मुर्गा मुर्गी है जिसमें 3500 से अधिक मुर्गियां है. सोनाली प्रजाति की एक मुर्गी साल में 250 से लेकर 280 अंडे देती है. वहीं, कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां साल भर में 60 से लेकर 90 अंडे देती है. पूर्व में अंडे की कम खपत होने के कारण इस फार्म में इंक्यूबटर मशीन का सहारा लेकर अंडो से चूज़ा तैयार किया जाता है.डॉक्टर आलोक आगे बताते है कि इस मामलों में मुर्गियां भी काफी समझदार है. मुर्गियां फार्म में लगे हुए सुरक्षित जगह ट्रे में ही अपने अंडे देती है. फिर उन अंडो को 5 दिन के अंदर उस जगह से लाकर इंक्यूबटर मशीन के अंदर रखा जाता है. जहां इन अंडों को 37.5 तय तापमान पर रखा जाता है. साथी इस मशीन में आद्रता को भी मेंटेन किया जाता है. प्रत्येक 24 घंटो में मशीन अंडों को एक बार अपने-अपने जगह से हिलाती है. फिर 18 दिन के बाद इन अंडों को 3 दिन के लिए हेचर मशीन रखा जाता है. जहां अंडों को तोड़कर चूजे बाहर निकलते हैं.
10,000 अंडों से चूज़े तैयार
डॉ आलोक आगे बताते हैं कि फार्म में हर महीने लगभग 10,000 अंडों से चूज़े तैयार किए जाते हैं. इसमें 80 से 90 प्रतिशत से अंडे से चूज़े निकल जाते है. शेष अंडे या चूज़े खराब हो जाते है. फिर इन चूज़ो को बेच दिया जाता है या फिर इन्हें यहीं बड़ा किया जाता है. सोनाली ब्रीड का चूज़ा 25 से 30 रुपए बिकता है वकड़क नाथ 40 से 50 रुपए पीस है. एक बार अंडे से चूज़े बन जाने के बाद यह चूज़े तीन दिन तक ट्रैवल कर सकते है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2023, 21:14 IST