यहां प्रयोगशाला में बनी गणपति बप्पा की मूर्तियां, नदी और तालाब के जल को करेगी शुद्ध, जानें कैसे

विकाश पाण्डेय/सतना : मिट्टी, गोबर, चॉकलेट से बनी ईको फ्रेंडली गणपति की मूर्तियां तो आप ने देखी होंगी लेकिन क्या आप ने फिटकिरी से बनी गणेश की मूर्तियां देखी हैं. फिटकिरी से बनी गणेश प्रतिमाएं अपने आप में अद्भुत और बेहद अनोखी हैं. एक्सीलेंस स्कूल सतना के बच्चों द्वारा गणपति को लेकर पहली बार कुछ ऐसा नवाचार किया गया जो इस समय खूब सुर्खियां बटोर रहा है. शिक्षक रामानुज पाठक के मार्गदर्शन में फिटकिरी के गणपति की मूर्ति बनाई है जो काफी चर्चा का विषय बनी हुई है. भक्त इसे दखने के लिए दूर दूर से आ रहे हैं.

फिटकिरी से निर्मित गणपति में क्या है खास

पीओपी और विभिन्न रंगो से निर्मित गणेश प्रतिमाएं नदी और तालाब में विसर्जित की जाती है. जिसकी वजह से जल प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन फिटकिरी एक ऐसा यौगिक है जो जल में कुछ ही समय पर घुल जाता है और जल को शुद्ध करता है. जिससे नदी तालाब में होने वाले जल प्रदूषण से बचा जा सकता है.

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बच्चों ने कैसे बनाई फिटकिरी की मूर्तियां

उत्कृष्ट विद्यालय के रसायन विज्ञान के डॉ. रामानुज पाठक ने बताया कि इस वर्ष कक्षा 12 के छात्रों ने मिलकर 15 किलो फिटकरी से तकरीबन तीन गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं, जिनकी लंबाई चौड़ाई डेढ़ से 2 फिट है और वजन लगभग 5 किलो है. फिटकिरी की गणेश मूर्तियां बनाने के पहले मिट्टी एवं आटे से मूर्तियों के सांचे बनाए गए तथा बाद में फिटकरी को पिघलाकर उन सांचों में ढाला गया.

गणेश मूर्तियां रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में तैयार की गई और इन मूर्तियां बनाने में राज डोहर, शिवदीप शुक्ला, विक्रम चतुर्वेदी, सत्येंद्र डोहर, रोहित कुशवाहा ,सत्यम कुशवाहा ,सागर सोनी, आतिश प्रताप सिंह,आंशिक रजक, साक्षी पांडे, आयुषी मिश्रा, सृजल मिश्रा, स्नेहा पांडे, आदि विद्यार्थियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया.

फिटकिरी से निर्मित मूर्तियों का हो चलन

अध्यापक ने शासन, प्रशासन और आमजन से अपील की है कि एक्सीलेंस का यह नवाचार लैब से लैंड तक पहुंचे प्रशासन के सहयोग से आम जन में जागरूकता आए तथा गणेश उत्सव के दौरान फिटकरी की मूर्तियों का चलन बढ़े, जिससे आस्था के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षित रहे , मूर्तियों के विसर्जन के दौरान जल प्रदूषण न हो. एक्सीलेंस विद्यालय का यह नवाचार पिछले 2021 में सर्वप्रथम किया गया था.हमारा यह प्रयास है कि आमजन में फिटकरी की मूर्तियों का चलन बढ़े जिससे धार्मिक उत्सव के साथ-साथ हमारा पर्यावरण भी संरक्षित रहे ,सुरक्षित रहे.

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