दीपक पाण्डेय/खरगोन.मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की पवित्र नगरी महेश्वर में महामृत्युंजय शिव रथ यात्रा निकाली गई. सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामयाः. इस उद्देश्य से यह यात्रा विगत 18 वर्षों से निरंतर क्षेत्र में निकाली जा रही है. खास बात यह है कि पूरे विश्व में सिर्फ महेश्वर में ही मकर सक्रांति के पहले रविवार को यह यात्रा निकलती है, जिसमे शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते है और भगवान के रथ (गाड़े) को खींचते है.
इस साल यात्रा 7 जनवरी को निकाली गई. दोपहर 3 बजे शहर के लक्ष्मीनारायण कॉलोनी स्थित स्वाध्याय भवन से प्रारंभ हुई जो एमजी मार्ग होते हुए करीब 3 घंटे का सफर तय करके नर्मदा तट पहुंची. महिला, पुरुषो सहित बच्चों ने भगवान के रथ को खींचा. यात्रा में महिलाएं निरंतर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रही तो वहीं पुरुष भजनों के साथ झूमते रहे.
शिव की 44 उपचार पूजा
आयोजन समिति महामृत्युंजय शैक्षणिक संस्था प्रमुख डॉ. मनस्वी एवं मानवी ने कहा कि 2007 में उनके गुरु हरि विलास की आज्ञा से यात्रा की शुरुआत हुई थी. विश्व कल्याण के उद्देश्य से यह यात्रा निकाली जाती है. यात्रा के पूर्व यानी शनिवार की रात 44 उपचार से पूजा हुई. अहिल्या घाट पर नित्यांजलि संस्था के कलाकार वैष्णवी सोनेर, समृद्धि मौर्य, प्राची मंडलोई, हिमाद्री सेन गुप्ता ने श्याम रंजन सेन गुप्ता के मार्गदर्शन में भरत नाट्यम, कथक, शिव तांडव पर प्रस्तुति दी है.
नर्मदा की काकड़ आरती
रात करीब 7:30 बजे नर्मदा तट पर लगभग 5 हजार श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा की काकड़ आरती का आयोजन हुआ. आरती के लिए महिलाओं ने तीन दिन में शुद्ध देशी घी से 4400 काकड़ बाती तैयार की थी. इन्हीं बातियों से आरती उतारी गई. आरती के दौरान विशाल शिवलिंग ने नर्मदा विहार भी किया. मंच पर बाहर ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति के दर्शन भी भक्तों ने लिए. भक्तों को अभिमंत्रित रुद्राक्ष भी नि:शुल्क वितरित किए गए.
इसलिए महेश्वर में यात्रा
डॉ. मनस्वी एवं अशोक बंसल ने कहा कि महेश्वर पौराणिक स्थान होने के साथ भगवान शिव ने राक्षस के वध के लिए महेश्वर में ही अपने रथ नंदी की सवारी की थी. इसके अलावा यह देवों की भूमि रही है. अहिल्या बाई होलकर ने भी इसीलिए महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया था. शिव की नगरी और नर्मदा तट होने से यह क्षेत्र अध्यात्म की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. इसीलिए महामृत्युंजय शिव रथ यात्रा महेश्वर में निकाली जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 8, 2024, 19:02 IST