शुभम मरमट / उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन शहर में नवरात्रि के पर्व पर आठवीं शताब्दी की देवी महिषासुर मर्दिनी और देवी सरस्वती की अद्भुत प्रतिमा से लोगों को अवगत कराया जा रहा है. महाकाल लोक के समीप स्थित त्रिवेणी संग्रहालय में शैव, शाक्त और वैष्णव संप्रदाय की प्राचीन प्रतिमाओं से सजाया गया है.
उज्जैन में स्थित त्रिवेणी संग्रहालय मूलरूप से 2016 सिहस्थ में मध्य प्रदेश शासन संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के माध्यम से स्थापित किया गया था. महाकाल लोक से इसकी शुरूआत होती है. बता दें कि यह त्रिवेणी संग्रहालय जयसिंहपुरा क्षेत्र में स्थित है. खास बात यह है कि ऐतिहासिक और पौराणिक मूर्तियों का अनूठा संग्रह है, जिसका सनातन से गहरा संबंध है. देश विदेश के कोने कोने से पर्यटक यहां आते हैं.
ब्रुसेल्स मे भी हो चुकी है प्रदर्शित
इस संग्रहालय में शैव शाक्त एवं वैष्णव संप्रदाय की अति प्राचीन पाषाण निर्मित प्रतिमाएं प्रदर्शित है. महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा वर्ष 2013 में बेल्जियम के ब्रुसेल्स में आयोजित प्रदर्शनी में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदर्शित हो चुकी है. उज्जैन प्राचीन काल से ही धार्मिक नगरी रही है. यहां सनातन की शैव, शाक्त एवं वैष्णव तीनों परंपराएं प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है.इन तीनों ही परंपराओं को ध्यान में रखकर वर्ष 2016 में त्रिवेणी संग्रहालय की स्थापना की गई.
1800 वर्ष प्राचीन देवी सरस्वती की प्रतिमा मौजूद
योगेश पाल ने बताया कि संग्रहालय की स्थापना के दौरान यहां प्रदेश के 10 संग्रहालयों से प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ प्रतिमाओं को लाकर रखा गया है जिसे देखने प्रतिदिन बहुत से पर्यटक आते है. पुरातत्व दीर्घा में प्रदर्शित लगभग 1800 वर्ष प्राचीन देवी सरस्वती की प्रतिमा अपने आप में अनुपम है. प्रतिमा में देवी सरस्वती को वीणा का वादन करते हुए दिखाया गया है. इसी तरह संग्रहालय की दीर्घा में आठवीं शताब्दी ईस्वी की विश्व प्रसिद्ध महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा भी है. यहां पर सप्त मातृकाएं जो विभिन्न देवों की शक्ति है, जिसमे ब्राह्मणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, आदि छठी सातवीं शताब्दी ईस्वी की है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 19:59 IST