दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम : नर्मदापुरम जिला मुख्यालय पर आदमगढ़ स्थित पहाड़िया में सतपुड़ा-विंध्याचल की जैव विविधता की झलक देखी जा सकती है. डॉ रवि उपाध्याय प्रोफेसर बॉटनी ने कहा कि कई वर्षों की शोध में पाया गया है कि कुछ वनस्पतियों में तो अत्यंत औषधीय ‘गुण देखे गए. इतनी छोटी जगह पर इतनी सारी दुर्लभ वनस्पतियों का संरक्षित रहना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. यह सभी दुर्लभ प्रजाति की वनस्पतियां और औषधीय पौधे हैं. इन्हें और भी अधिक सुरक्षापूर्वक संरक्षित किया जाना चाहिए. वहीं किसी को यहां की वनस्पति निकालने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. ऑफियोगलोसुम और इसोइटिस की प्रजातियां पूरे मध्यप्रदेश में पचमढ़ी के बाद केवल नर्मदापुरम शहर मे पहाड़िया पर ही देखी जा सकती हैं. आदमगढ़ की छोटी सी पहाड़िया में विश्व की चार हेटेरोस्पोरोस फर्न की प्रजातियां संरक्षित हैं.
यहां वनस्पतियों की 400 प्रजातियां पाई जाती हैं. चार दुर्लभ वनस्पति सिलेजिनेला (जिसे संजीवनी भी कहते हैं) सर्प जिह्वा (ऑफियोगलोसुम), जंगली लहसुन (ऐसोइट्स) और मयूर शिखा ( एक्टिनोप्टेरिस) मिलती है. यह जड़ी बूटी का भंडार भी है. लगभग 100 दुर्लभ जड़ी बूटियां यहां हैं. औषधीय महत्व की मे ड़सिंघी, वरुणा, अतिबला, अपामार्ग, कोकिलक्ष, चिरायता, सारिवा आदि देखी जा सकती हैं. यहां आयुर्वेदिक औषधि में प्रयुक्त होने वाली संजीवनी, जंगली लहसन, वरुणा, मेड़सिंघी, इंद्राज, कोकिलक्ष, मयूर शिखा अति दुर्लभ है. इनके अतिरिक्त जैविक खाद में प्रयुक्त अजोला भी पाया जाता है.
98 एकड़ में फैला है पहाड़िया
हिस्ट्री प्रोफेसर डॉ हंसा व्यास ने कहा कि हमारे शहर मे आदमगढ़ की पहाड़ियां लगभग 98 एकड़ में फैली पहाड़िया पिकनिक स्पॉट तो है. पहाड़िया पर पाषाणकाल में आर्मबेस (शस्त्रागार) रहा है. इसके प्रमाण बारिश में मिलने वाले औजारों के अवशेष हैं. यहां तलवार, बल्लम, ब्लेड, बर्तन, गहनों के अवशेष हैं. जिन्हें नागपुर के पुरातत्व संग्रहालय भेजा जाता है. पहाड़िया पर इन वन्यजीवों का भी बसेरा है. 16 शैलाश्रय भी पाए गए हैं. पहाड़िया पर विभिन्न प्रजातियों की तितलियां, सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा, सिंघी, मोर, लोमड़ी, हिरण भी है. 16 शैलाश्रय में से 11 में शैलचित्र हैं. इन चित्रों में वनस्पतिक रंगों का उपयोग किया है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 19:12 IST