यहां तीन दिनों तक मनाएंगे भगवान राजराजेश्वर का जन्मोत्सव, होंगे खास आयोजन, त्रेतायुग से जुड़ा है इतिहास

दीपक पाण्डेय/खरगोन. एमपी में जिले की पवित्र नगरी महेश्वर (प्राचीन नाम माहिष्मती) में मां नर्मदा के तट पर स्थित भगवान राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन के जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भक्तों द्वारा जन्मोत्सव मनाया जाएगा.

कहते हैं पूरे देश में भगवान राज राजेश्वर के जन्मोत्सव पर सबसे बड़ा आयोजन महेश्वर में ही होता है. इस साल महेश्वर में भगवान राजराजेश्वर का जन्मोत्सव 19 नवंबर को मनाया जाएगा. तीन दिनों तक मनाएं जाने वाला यह उत्सव 17 नवंबर से प्रारंभ होगा. दिवाली के चार दिन बाद पंचमी तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तक चलेगा. कई अनुष्ठान होंगे.

तीन दिन चलेंगे अनुष्ठान
विगत कई पीढ़ियों से मंदिर की सेवा करने वाले महंत चैतन्य गिरि महाराज बताते हैं कि तीन दिनों तक विशेष पूजा होगी. हर दिन सुबह नर्मदा जल एवं दूध से पूजन व अभिषेक होगा. रोजाना सुबह 9 बजे से 12 बजे एवं दोपहर 3 से 5 बजे तक 11 विद्वान पंडितों द्वारा महारुद्राभिषेक स्वाहाकार के साथ अभिषेक का कार्यक्रम होगा. इसके साथ ही महारुद्र स्वाहाकार एवं हवन पूजन भी होगा.

इस दिन मनाएंगे जन्मोत्सव
आगे बताया कि 19 नवंबर को प्रातः 5:30 बजे काकड़ आरती की जाएगी. इसमें सैकड़ों भक्त शामिल होंगे. शाम को 5 से 6 बजे मंदिर के गर्भगृह एवं परिसर में चलने वाले तीन दीनी महारुद्र स्वाहाकार एवं अभिषेक की पूर्णाहुति दी जाएगी. जबकि रात 10:30 बजे भगवान राजराजेश्वर महादेव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इस दौरान भव्य आतिशबाजी होगी.

इतना पुराना है इतिहास
वहीं नगर के श्रद्धालु मित्र मंडल तथा बाहरी क्षेत्र से आने वाले गायक कलाकारों द्वारा भजनों की सुंदर प्रस्तुति दी जाएगी. पूरे मंदिर परिसर सहित नगर के श्रद्धालुओं द्वारा अपने घर आंगन में भी दीप प्रज्वलित किए जाएंगे. महंत चैतन्य गिरि बताते हैं कि भगवान राजराजेश्वर महादेव का यह मंदिर त्रेतायुग में बना था. उनके पूर्वजों द्वारा जीर्णोद्धार किया गया था. गर्भगृह में विराजित शिवलिंग में कार्तवीर्य सहस्त्रबाहु अर्जुन की दिव्य ज्योति समाहित है.

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