प्रिंस भरभूँजा/छतरपुर. छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित चंदेल कालीन चौसठ योगिनी मंदिर, यहां आज भी देश दुनिया के लोग तांत्रिक क्रियाओं को सीखने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि तांत्रिक क्रियाओं की सिद्धि चौसठ योगिनी मंदिर में करने से जल्द ही तांत्रिक विद्या की प्राप्ति होती है. तांत्रिकों के लिए चौसठ योगिनी मंदिर, साधना स्थली के तौर पर जाना जाता है. यह मंदिर देखने में काफी दिलचस्प है, इस मंदिर में जानें पर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे भारतीय संसद में आ गए हो.
ऐसा माना जाता है कि चौसठ देवियां एक साथ तांत्रिकों के लिए सिद्ध होती है, जो काफी प्रभावी रूप से तांत्रिक क्रियाओं में उनके सहायक बनकर काम करती है.
देश विदेश से आते हैं लोग
वैसे तो खजुराहो में देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं. लेकिन, देश और विदेश में तांत्रिक क्रियाओं में रुचि रखने वाले लोग भी यहां बड़ी संख्या में आते हैं. सुबह और शाम के समय तांत्रिक क्रियाओं के माध्यम से तंत्र शक्तियों को सिद्ध करने के लिए चौसठ योगिनी मंदिर के आसपास लोग देखे जा सकते हैं. इनमें कई विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं, जो तांत्रिक क्रियाओं को जानने लिए उत्सुक रहते हैं.
चंदेल कालीन है मंदिर का इतिहास
चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर बताया जाता है कि यह चंदेल कालीन मंदिर है. इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि यह खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है.
सबसे पहले हुआ है इस मंदिर का निर्माण
नवमी शताब्दी में चंदेल कालीन राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर के प्रमुख का आकार आयताकार है और इसमें 67 छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे. लेकिन, वर्तमान में मात्र 35 मंदिर ही सही अवस्था में है. अन्य मंदिरों को मुगल आक्रांताओं ने बर्बाद कर दिया था.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2023, 10:54 IST