सच्चिदानंद/पटना. दुर्गा पूजा के लिए पूरा पटना सज-धज कर तैयार है. कल से मां दुर्गा का पट खुल जायेगा. उसके बाद लोगों की भीड़ पंडालों की तरफ खूब उमड़ेगी. नवरात्रि के अवसर पर पूरे पटना में करीब 1600 से ज्यादा जगहों पर पूजा आयोजित हो रही है. हर पूजा पंडाल की अपनी खासियत है. कहीं पंडाल आकर्षण का केंद्र है तो कहीं की मूर्ति यूनिक है.
ऐसे ही पटना के पांच मूर्तियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसको देख हर कोई चौंक जायेगा. यह तमाम मूर्तियां यूनिक कांसेप्ट पर बनाई गई है. कोई ड्राईफुट की बनी मूर्तियां है तो कोई दवाई से बनी है. चुरा, मीठापन और मोर पंख से बनी मूर्तियां भी लोगों को आकर्षित करने वाली है. ऐसे ही यूनिक मूर्तियों को पिछले 15 सालों से जितेंद्र और उनके भाई बनाते हैं. पूरे साल यूनिक आइडिया पर काम करते हैं और पूजा समितियों की रजामंदी से बनाने लगते हैं.
सभी मूर्तियों की है अपनी अलग-अलग खासियत
दुर्गा उत्सव को लेकर इस बार बाजार समिति के पास कस्तूरबा नगर स्थित सामुदायिक भवन में कुछ यूनिक कॉन्सेप्ट पर माता की मूर्तियां बनायी जा रही हैं, उन्हें अलग-अलग समितियों और क्लबों को दिया जायेगा. दो भाई जितेंद्र कुमार और चंदन कुमार प्रतिमा को बना रहे हैं. वे इस बार चूड़ा, मोर पंख, ड्राइ फ्रूट्स, पान मसाला, टैबलेट से माता की मूर्तियां बनकर तैयार हो गई है. इन मूर्तियों को आज पूजा पंडालों में स्थापित कर दी जायेगी. सप्तमी से लोग इन मूर्तियों का दर्शन कर पाएंगे.
मूर्तिकार जितेंद्र ने बताया कि हर मूर्ति की अपनी खासियत है इसका एक खास संदेश देने के मकसद से तैयार किया गया है. दवाई वाली मूर्ति से फास्ट फूड के बढ़ते प्रयोग से होने वाले नुकसान को दर्शाया गया है. पान मसाला की ओर लोगों का रुझान बढ़ने लगा है इस वजह से यह थीम रखा गया. ड्राई फ्रूट्स वाली मूर्ति वर्कआउट करने वाले युवाओं को यह संदेश देगी कि ड्रायफ्रूट्स को अपने डाइट चार्ट का हिस्सा बनाएं. चुरा भोजन के एक प्रकार को दर्शा रहा है तो वहीं मोर राष्ट्रीय पक्षी को समर्पित है.
एक महीने से लगातार बना रहे हैं मूर्तियां
मूर्तिकार जितेन्द्र और उनका भाई चंदन पटना में यूनिक मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं. पिछले 15 सालों से ऐसे अलग-अलग कांसेप्ट पर मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. इस कारीगरी पर जितेन्द्र बताते हैं कि खुद से पूरे साल आईडिया पर रिसर्च करता हूं और यूनिक मूर्तियां बनाता हूं. मूर्तिकार चंदन बताते हैं कि चूड़ा से बनी प्रतिमा में 10 किलो चूड़ा का इस्तेमाल किया गया है. मोर पंख की प्रतिमा के लिए 700-800 पीस मोर पंख का लगे हैं. वहीं 15-20 किलो का ड्राइफ्रूट्स का इस्तेमाल किया गया है. मीठा पान मसाला में भी ईलायची, लैंग, पान का पत्ता, सॉफ, सहित कई सामग्री है. यह सभी मूर्तियां अलग अलग पंडाल में देखने को मिलेंगी.
इको फ्रेंडली बनाई गई है मूर्तियां
मूर्तिकार चंदन बताते हैं कि ड्राइ फ्रूट्स प्रतिमा चाई टोला मुसल्लहपुर में, मोर पंख प्रतिमा भंवर पोखर, मीठा पान मसाला नातुन गली, मुसल्लहपुर, चूड़ा प्रतिमा नया चक, बाइपास और दवाई वाली प्रतिमा अमरूदी गली में देखने को मिलेंगी. यह पांचों मूर्तियां इको फ्रेंडली है. इसको बनाने मे पुआल और पेपर का प्रयोग किया गया है. जितेन्द्र बताते हैं कि मूर्ति बनाने की यह कला, बड़े भाई से मिली है. वो मिट्टी की मूर्ति बनाते थे लेकिन हमलोग उससे एक कदम आगे यूनिक कांसेप्ट पर मूर्ति बनाने लगे.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 21:48 IST