यहां ज्योतिर्लिंग के साथ मां गंगा भी विराजमान,कहां से आता पानी किसी को नही पता

शशिकांत ओझा/पलामू. जहां आस्था की बात होती है वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर सामने आती हैं. ऐसी ही मान्यता से जुड़ा झारखंड में एक दुर्लभ ज्योतिर्लिंग है. जहां शिवलिंग के साथ मां गंगा विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है. शिवरात्रि के अवसर पर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और दिल्ली तक से लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं.

पलामू गढ़वा के बॉर्डर पर स्थित यह दुर्लभ ज्योतिर्लिंग खोनहरनाथ बाबा के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर लाखों वर्ष पुराना है. मंदिर के पुजारी संतोष बाबा बताते हैं कि उनके पूर्वज 500 वर्षों से यहां पूजा कर रहे हैं. यहां भगवान भोलेनाथ माता गंगा के साथ प्रकट रूप में हैं. किसी को नहीं पता कि ये पानी कहां से आता है. इस शिवलिंग को किसी ने स्थापित नहीं किया है. खुद ब खुद भगवान यहां प्रकट हुए हैं. वहीं ज्योतिर्लिंग के नीचे से खुद ब खुद पानी निकलता है, जिसे लोग पीते भी हैें. इसी जल से लोग भगवान को जलाभिषेक भी करते हैं और घर लेजा कर पीते भी हैं.

तीसरा अनोखा ज्योतिर्लिंग
स्थानीय निवासी नागेंद्र तिवारी ने बताया कि मानसरोवर और कैलाश के बाद ये ज्योतिर्लिंग झारखंड में तीसरे खोनहरनाथ के नाम से सुप्रसिद्ध है. यह विश्व का तीसरा अनोखा ज्योर्तिलिंग है. जिसका अरघा पूर्वाभिमुख है. यहां खुद ब खुद जल आता है. इसका कोई पता नहीं लगा सका कि ये जल कहां से आता है. उन्होंने आगे बताया  कि रात के अंधेरे में इस दुर्लभ ज्योतिर्लिंग से प्रकाश निकलता  है.अगर कोई श्रद्धालु एकांत और शांत मन से ज्योतिर्लिंग के समीप बैठता है और भगवान भोलेनाथ को याद करता है तो इस ज्योतिर्लिंग से एक प्रकाश निकलता दिखाई देता है. उन्होंने स्वयं इस प्रकाश को देखा है.

शिवरात्रि पर लगता है दो दिवसीय मेला
मंदिर की पुजारी बाबा संतोष ने बताया कि शिवरात्रि के अवसर पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है. जहां दूर दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं. इस दौरान मंदिर का पट्ट भोर 3 बजे ही खुल जाता है. उस समय से ही श्रद्धालुओं की कतार लग जाती है. मेले में लोगों को तरह तरह का सामान देखने को मिलते है. बच्चों के लिए झूले भी लगते हैं. वहीं खाने पीने के दर्जनों स्टाल लगते हैं.

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