मो सरफराज आलम/सहरसा.जिले के खिलाड़ी प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में खेल की अलग-अलग विधाओं में अपना नाम रोशन कर रहे हैं. खिलाड़ियों की इस कामयाबी के पीछे किसी ना किसी व्यक्ति या फिर कोच का बड़ा हाथ रहता है. आज हम आपको एक ऐसी वॉलीबॉल खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने गांव के खाली मैदान या खेत में ही प्रैक्टिस कर नेशनल लेवल पर वॉलीबॉल में गोल्ड मेडल जीता है. महज 17 साल की सत्तरकटैया प्रखंडकी रहने वाली मेघा कुमारी अब अपने गांव के छोटे-छोटे बच्चों को वॉलीबॉल खेलना सीखा रही है.मालूम हो कि मेघा ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित यूथ नेशनल वालीबॉल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है.
मेघा बताती है कि वह आगे चलकर जिंबा जैसा खिलाड़ी बनना चाहती है. खेल को बढ़ावा देने के लिए वह प्रतिदिन सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के छोटे-छोटे बच्चों को सिखाती है. इसके अलावा शाम के समय में वह गांव की लड़कियों को भी वॉलीबॉल सिखाती है. मेघा बताती है कि हमारे गांव में एक भी खेल मैदान नहीं है. इस वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है. गांव के सरकारी स्कूलों में जाकर स्कूल के ग्राउंड में ही वहां के छात्र-छात्राओं को वॉलीबॉल सिखाती है. साथ ही शाम के समय में गांव के ही छोटे मैदान में अपना भी प्रैक्टिस करती है और वहां पर मौजूद बच्चों को भी सिखाती है.
खेल को बढ़ावा दे सरकार
मेघा की इस कामयाबी के पीछे उनके कोच धर्मेंद्र सिंह नयन का अहम योगदान है. धर्मेंद्र सिंह नयन भी बच्चों को वॉलीबॉल खेलने के लिए निःशुल्क कोचिंग देते हैं.धर्मेंद्र बताते हैं कि अगर सरकार खेल के प्रति जागरूक हो जाए और गांव-कस्बे में भी खेल मैदान को तैयार कर दे, तो अधिक संख्या में गांव के बच्चे भी आगे बढ़ सकेंगे.
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FIRST PUBLISHED : September 02, 2023, 12:04 IST