दिलीप चौबे/कैमूर : बिहार में मनेर का लड्डू जिस प्रकार पूरे देश में प्रसिद्ध है, उसी प्रकार कैमूर जिला के भगवानपुर गांव में मिलने वाला गुड़ वाला लड्डू भी बेहद खास है. इस मिठाई का स्वाद इतना खलिस है कि स्वाद चखते हीं आप भी मुरीद हो जाएंगे. देश में कई प्रकार का लड्डू बनता है. जिसमें बेसन, बूंदी, मोतीचूर, गोंद, नारियल, तिल-गुड़, चूूरमा इत्यादि कई अलग-अलग वस्तुओं से बनाया जाता है.
लड्डू मुख्य रूप से भगवान को चढ़ाने के लिए लोग उपयोग करते हैं. हालांकि गुड़ वाला लड्डू सीमित स्थानों पर बनता है और इस लड्डू को बनाने का तरीका भी अलग है. भगवानपुर गांव 150 वर्षों से भी इस पारंपरिक लड्डू को बनाने की परंपरा कायम है. भगवानपुर गांव में 150 वर्ष पहले झूमक हलवाई ने गुड़ से लड्डू बनाने की शुरआत की थी. नई पीढ़ियां अब इसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
150 वर्षों से भगवानपुर में बन रहा है गुड़ का लड्डू
बिहार के कैमूर जिला स्थित भगवानपुर प्रखंड के भगवानपुर गांव में मिलने वाला गुड़ का लड्डू बेहद खास हैं. खासकर कर्मदेव गुप्ता के दुकान का लड्डू बेहद खास है. यहां कैमूर के अलावा बिहार सहित अन्य राज्यों के लोगों के बीच भी डिमांड है. लोग आर्डर देकर मंगवाते हैं. प्रचलित गुड़ वाले लड्डू दुकान के ऑनर कर्मदेव गुप्ताने बताया ने गुड़ का लड्डू उनके पूर्वजों के चलते चर्चा में आया.
लगभग 150 साल पहले उनके बाबा के बाबा झूमक हलवाई ने इसकी शुरुआत की थी. उन्ही के बदौलत इस गुड़ के लड्डू का मांग बढ़ गया. गुड़ का लड्डू शुद्ध घी में तैयार किया जाता हैं. लड्डू जब बनने लगता हैं तो आस-पास के वातावरण में लड्डू के बनने की खुशबू फैलने लगती है.
रोजाना एक क्विंटल लड्डू की होती है बिक्री
दुकानदार ने बताया कि बाजार से दाल खरीद कर लाते हैं और उसको पिसवाते हैं. बेसन को चाल कर शुद्ध घी में बूंदी तैयार किया जाता है. गुड़ का पाग यानि चासनी भी तैयार किया जाता है. जिसमें इलायची, सौंप,कपूर डालकर गुड़ के पाग में अच्छी तरह से मिलाते है. बूंदी को पाग में डालकर मिलाते हैं. कुछ देर तक हवा में छोड़ देने के बाद गुड़ के लड्डू को आकार देते हैं.
आप लड्डू चिरौंजी, खसखस, पिस्ता, किशमिश और नारियल को मिलाकर भी तैयार कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि यहां लंबे अर्से से लड्डू बन रहा है. गुड़ वाले लड्डू की कीमत 160 रुपए प्रति किलो है. अमूमन रोजाना एक क्विंटल लड्डू की बिक्री हो जाती है. जबकि पर्व त्यौहार के समय में दो से तीन क्विंटल की बिक्री होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 27, 2023, 14:28 IST