यहां कीचड़ में नाग की तरह लोटने लगते हैं लोग, बिना मंत्र फूंके नहीं होते शांत

लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ जिले के जांजगीर में लोग एक अनोखी परंपरा को मनाते हैं. यहां भोले बाबा की श्रद्धा में लोग कीचड़ में लोट मारते हैं. लोग नाग की तरह कीचड़ में लोटकर फुंफकार मारते हैं. फिर बैगा इन लोगों पर मंत्र मारकर शांत करता है.

बैंगा के मंत्र फूंकने के बाद शांत हुए नगमत

जांजगीर जिले के पुरानी बस्ती में नगमत में लोग कीचड़ में सांप की तरह लेटने लगते है. आपको बता दें कि सावन सोमवार को बैगा ने जैसे ही नागदेवता की पूजा की वैसे ही मांदर, ढोल व झांझ की आवाजें गूंज उठी और पूजा स्थल में बैठे श्रद्धालुओं के बीच से ही एक-एक कर 3- 4 लोग अचानक ऐसे उठे जैसे कोई नाग फूंफकारता हो. नाग देवता सवार होने के कारण वे जमीन पर सांप की तरह रेंगने लगे. करीब 15- 20 मिनट तक सर्प जैसी हरकतें करने वाले को जब बैगा ने मंत्र फूंका तब शांत हुए. इसके साथ ही यहां भजन कीर्तन चलते रहता है.

नागपंचमी पर वर्षों से चली आ रही यह परंपरा

जांजगीर जिला मुख्यालय के पुरानी बस्ती कहरापारा में नागदेव की पूजा-अर्चना सार्वजनिक रूप से की गई. जिसके बाद यहां नगमत भी हुआ. जिसमें कीचड़ में लेटकर लोगों ने अपनी भक्ति का परिचय दिया. बाद में बैगा द्वारा मंत्र फूंकने के बाद नागदेव शांत होते है. ऐसी परंपरा महादेव पर भक्ति और नागपंचमी पर वर्षों से चली आ रही है. नागदेव की पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली गई. मांदर की थाप के बीच लोग भीमा तालाब पहुंचे, जहां पूजन सामग्री का विसर्जन किया गया.

सर्पदंश पर जाते है बैगा के पास

इस नगमत के समय न केवल जांजगीर के बस्ती, बल्कि आसपास के लोग नगमत देखने पहुंचते हैं. भारी संख्या में श्रद्धालु नगमत देखने उमड़े है. इस दिन खेतों में कृषि कार्य बंद रहता है. अच्छी फसल की कामना के लिए किए जाने वाली इस पूजा के पीछे सर्पदंश से जुड़ी किवदंती भी है कि इस गांव में आज तक कभी सर्प दंश से किसी ग्रामीण की मौत नहीं हुई. आज भी लोग सर्प दंश में बैगा पर विशेष रूप से विश्वास करते है.

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