भरत तिवारी/जबलपुर. संस्कारधानी के सिद्ध घाट में एक गौमुख मौजूद है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां से निरंतर जल बहता रहता है. कहते हैं यह जल कई सदियों से इस गोमुख से निरंतर बहता आ रहा है.इस जल को लेकर यहां के लोगों का कहना है कि इस जल को पीने से लोगों की बीमारियां दूर होती है. इस जल का दूसरा छोर तो सबको दीखता है, लेकिन एक छोर कहां है यह नहीं पता. इस गोमुख में पानी कहां से आता है, इसका किसी को कुछ अता-पता नहीं है. लोगों का कहना है की पानी पाताल से आता है.
इस जल से ठीक होती है लोगों की बीमारियां
सिद्ध घाट में मौजूद लोगों का कहना है कि इस गोमुख के जल से लोगों की कई बड़ी-बड़ी बीमारियां दूर हुई है. यहां की मिट्टी से चर्म रोग से जुड़ी हुई बीमारियां दूर होती हैं. इस जगह पर लोग आकर स्नान करते हैं यहां का पानी पीते हैं और यही से जल भरकर लेकर चले जाते हैं, इस पानी को इंसानों के अलावा पशु पक्षी भी ग्रहण करते हैं. यह भी कहना है कि इसका स्वाद नर्मदा जल से अलग है. इसके अलावा लोगों ने एक और बात बताई जिसमें उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा के दिन इस गोमुख के पानी का स्वाद गंगाजल जैसा हो जाता है. लोगों की ऐसी मान्यता है की गंगा दशहरा के दिन माता गंगा यहां पर स्वयं प्रकट होती है जिसके कारण इस गोमुख से निकलते हुए जल का स्वाद गंगाजल जैसा हो जाता है.
तपस्वी संत की तपस्या से प्रकट हुई थी यहां गंगा
कहते हैं गौरी शंकर सीताराम नाम के एक तपस्वी संत यहां पर रहा करते थे कहते हैं वह गंगा में स्नान करने के बाद सिद्ध घाट पहुंचकर माता नर्मदा के इस घाट पर पूजा पाठ किया करते थे उसके बाद उन्होंने अपने अंतिम क्षणों में अपनी तपस्या से माता गंगा को इसी जगह पर प्रकट कर दिया तब से लेकर कहते हैं इस गोमुख से निरंतर जल बहता है इसके स्वाद के बारे में हमने लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि इसका पानी नर्मदा जल के पानी से स्वाद में बिल्कुल विपरीत है इसका पानी गर्म रहता है और लोगों का तो यह भी कहना है की गंगा दशहरा के दिन इस जल का स्वाद गंगा जल जैसा हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2023, 20:21 IST