यमुनाजी की रसमलाई; 2-3 घंटे में बना देते हैं 300 पीस, 50 साल से लोग दीवाने

गुलशन सिंह/बक्सर. कहते हैं जगह-जगह का पानी वहां के पकवान का स्वाद बढ़ा देते हैं. कुछ ऐसा ही बक्सर की इस मिठाई के साथ भी है. यूं तो रसमलाई कई राज्यों में मिलती है, लेकिन बक्सर की रसमलाई का स्वाद कुछ अलग है. बक्सर के पड़री मोड़ पर यमुनाजी की 50 साल पुरानी मिठाई दुकान है. यहां की रसमलाई पूरे शहर में प्रसिद्ध है. इस मिठाई को मधुबनी से आए कारीगर तैयार करते हैं.

रसमलाई बनाने वाले ज्ञानू मंडल ने बताया कि 20 साल से मिठाई बनाने का काम कर रहे हैं. इसमें रसमलाई खास है और लोग चाव से खाते भी हैं. बताया कि रसमलाई को तैयार करने में कुल 2 से 3 घंटे का वक्त लग जाता है. इतने समय में 300 पीस रसमलाई तैयार होती है. बताया कि सबसे पहले रसमलाई के लिए दूध मंगाया जाता है. इसके बाद उससे छेना निकाला जाता है. वहीं दो कारीगर मिलकर उस छेना से एक साइज की रसमलाई तैयार करते हैं.

25 रुपये की एक रसमलाई
ज्ञानू मंडल ने बताया कि छेना को आंच पर पकाया जाता है, उसके बाद ठंडे पानी में उसे डाला जाता है. दूध को गर्म करने के लिए उबाला जाता है. वहीं दूध में केसर, इलायची, पिस्ता बादाम इत्यादि मिलाकर दूध को गाढ़ा बनाया जाता है. बताया कि 15 किलो छेना में 300 पीस रसमलाई तैयार होती है, जबकि एक रसमलाई को बनाने में 20 से 22 रुपये खर्च आ जाता है. वहीं बिक्री 25 रुपये प्रति पीस के रेट से होती है.

स्वाद के लिए लगती है भीड़
रसमलाई में चीनी की मात्रा कम होने से इसका बेहतर स्वाद होता है, जिससे ग्राहक ज्यादा प्रभावित होते हैं. वहीं दुकानदार यमुनाजी ने बताया कि आरा-बक्सर मेन रोड पर यह दुकान पांच दशक पुरानी है. पहले दुकान छोटी थी, लेकिन बदलते समय के अनुसार दुकान बड़ी हो गई है. बताया कि प्रतिदिन यहां रसमलाई खाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है. बताया कि बेहतरीन स्वाद के चलते उनकी रसमलाई का डिमांड बाजार में अधिक है.

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