मौसम अनुकूल खेती ने बांका के इस किसान की बदली किस्मत, तगड़ी हो रही कमाई

दीपक कुमार/बांका: भारत में कृषि एक प्रकार का जुआ है जो पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है. अगर मौसम साथ दे गया तो किसानों की किस्मत चमक उठती है. वहीं मौसम प्रतिकूल रहा तो किसानों को नुकसान पहुंचाकर कर्ज में डुबो भी देता है. भारत में कृषि के लिए मौसम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. लगातार जलवायु परिवर्तन खेती के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. इससे निपटना किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

बेमौसम बार‍िश और ओलावृष्टि किसानों की कमर को तोड़कर लाचारी और बेवशी की आंसू के बीच छोड़कर चला जाता है. जिन किसानों ने इस मर्म को समझ लिया वे पुरानी गलती में सुधार करते हुए मौसम अनुकूल खेती शुरू कर दी. बांका में भी दर्जनों ऐसे किसान हैं, जो पूरी तरह सो मौसम अनुकूल खेती करने लगे हैं. उन्हीं में से एक रजौन प्रखंड स्थित उपरामा के रहने वाले रूपेश कुमार चौधरी हैं जो अपने 13 एकड़ के खेत में मछली पालन के साथ कई फसलों की खेती कर सालाना दस लाख मुनाफा कमा रहे हैं.

पराली प्रबंधन तकनीक से समय और पैसे दोनों की होती है बचत
रुपेश चौधरी ने बताया कि 2004 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म होने के बाद पारंपरिक खेती से जुड़ गए. पारंपरिक खेती में नुकसान तो हो रहीं था, साथ हीं मौसम अनुकूल नहीं रहने से फसल बर्वाद हो जा रहा था. इसके बाद कृषि विज्ञान केन्द्र ने मौसम अनुकूल खेती करने की सलाह देने के साथ मदद भी की. कृषि विभाग के सहयोग से खेतों में पटवन के लिए स्प्रिंकलर लगाया है. इससे फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी मिल जाता है और जल की बर्वादी भी नहीं होती है.

इसके अलावा पराली प्रबंध संसाधन तकनीक को भी अपनाया. यह बिल्कुल आधुनिक तकनीक है. इस तकनीक में किसान मशीनीकरण विधि से खेती कर सकते हैं. इस तकनीक में जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, रेजवेड प्लांटर, मिट्टी क्रॉप प्लांटर, लेजरलैंडर लेवलर, सुपर सीडर, स्प्रिंकलर कलर आधुनिक मशीनों द्वारा खेती की जाती है.

सालाना 10 लाख से अधिक की हो जाती है कमाई
किसान रूपेश कुमार चौधरी ने बताया कि कुल 13 एकड़ में खेती कर रहे हैं. जिसमें दो तालाब भी है और उसमें मछली भी पाल रहे हैं. रबी फसल में गेहूं, चना, सरसों और मक्का खेती कर रहे हैं. एक तालाब में 10 हजार और दूसरे तालाब में 8 हजार मछलियां पाल रहे हैं. सभी सीलन मछली है जो 6 महीने में तैयार हो जाएगा. इसका बीज 120 रुपए किलो में मिल जाता है. तीन लाख तक एक सीजन में मछली की बिक्री हो जाती है. इसके अलावा बागवानी में अमररूद, आम, पपीता सहित अन्य फल के पौधे लगाए हुए है. रूपेश ने बताया कि मौसम अनुकूल खेती के बहुउद्देश्यी कृषि प्रणाली अपनाकर सालाना 10 लाख से अधिक की कमाई कर ले रहे हैं.

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