मौत के साए में 41 जिंदगियां…टनल से कब बाहर आएंगे मजदूर, मंजिल अब कितनी दूर? 13 दिन में कब-क्या हुआ

उत्तराखंड (Uttarakhand News) के उत्तरकाशी (Uttarkashi) में सिलक्यारा सुरंग ( Silkyara Tunnel Rescue Operation)में पिछले 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने की जद्दोजहद जारी है. सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रास्ता बनाने के प्रयास में जारी ड्रिलिंग में लगातार बाधाएं आ रही हैं. रेस्क्यू टीम और मजदूरों के बीच में अब महज कुछ कदमों का फासला है, मगर इसे तय करने में ही लंबा समय लग रहा है, क्योंकि ड्रिलिंग के काम में लगी अमेरिकी ऑगर मशीन के सामने बार-बार बाधा के रूप में लोहे की दीवार आ जा रही है. ऑगर मशीन के सामने सरिया के आ जाने से शुक्रवार को एक बार फिर रोकनी पड़ी जिससे श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया. अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को अमेरिकी ऑगर मशीन में आई तकनीकी अड़चन के बाद रूकी ड्रिलिंग 24 घंटे बाद शुक्रवार को फिर शुरू की गयी थी. उन्होंने बताया कि दिन में तकनीकी बाधा को दूर करने के बाद 25 टन वजनी भारी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू की गई लेकिन कुछ देर उसका संचालन रोकना पड़ा. पिछले दो दिनों में अभियान को यह दूसरा झटका लगा है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियों द्वारा उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है.

Uttarkashi Silkyara Tunnel Rescue Operation LIVE: सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को कब मिलेगी नई जिंदगी? बढ़ता जा रहा इंतजार, आज फिर शुरू होगी ड्रिलिंग

आज टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का 14वां दिन है और आज भी वे सभी मजदूर बाहर निकल पाएंगे या नहीं, यह कहना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान दो बार बाधा आई, जिसकी वजह से काम रोकना पड़ गया. सीनियर अधिकारियों की मानें तो अब महज 10 मीटर ड्रिलिंग का काम बच गया है. हालांकि, राहत की बात यह है कि आगे 5 मीटर तक किसी तरह के बाधा यानी मेटल ऑब्जेक्ट का अनुमान नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि ड्रिल रोके जाने के साथ फंसे हुए श्रमिकों के करीब मैन्युअल रूप से पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है. फिलहाल, यह रेस्क्यू ऑपरेशन कब तक चलेगा, यह कहना मुश्किल है, मगर राहत की बात यह है कि टनल के भीतर सभी श्रमिक सुरक्षित हैं. तो चलिए जानते हैं 12 नवंबर से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ.

12 नवंबर को दीवाली वाले दिन हुए हादसे और उसके बाद चलाए गए बचाव अभियान से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं-

12 नवंबर: दीवाली वाले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढहा, 41 श्रमिक फंसे. उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए आक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गयी. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और परियोजना का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस(आईटीबीपी) समेत विभिन्न एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं.

13 नवंबर: ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए पाइप के जरिए सुरंग में फंसे श्रमिकों से संपर्क स्थापित हुआ. बचाव कार्यों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर पहुंचे. सुरंग के ढहे हिस्से में जमा मलबे को हटाने में कोई खास प्रगति नहीं जबकि ऊपर से भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य मुश्किल हुआ. परिणामस्वरूप 30 मीटर क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैल गया. ढीले मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की मदद से मजबूत करने और उसके बाद ड्रिलिंग कर उसमें बड़े व्यास की स्टील पाइपलाइन डालकर श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गयीय.

14 नवंबर: ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें डालने के लिए 800 और 900 मिमी व्यास की पाइप मौके पर लाई गई। हालांकि, सुरंग में मलबा गिरने और उसमें मामूली रूप से दो बचावकर्मियों के घायल होने बचाव कार्यों में बाधा आई. विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरंग और उसके आसपास की मिटटी की जांच के लिए सर्वेंक्षण शुरू किया. सुरंग में फंसे लोगों को खाना, पानी, आक्सीजन, बिजली की आपूर्ति जारी। सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की शिकायत की जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध कराई गयीं.

15 नवंबर: पहली ड्रिलिंग मशीन के प्रदर्शन से असंतुष्ट एनएचआईडीसीएल ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई. 16 नवंबर: उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गयी। मशीन ने मध्यरात्रि के बाद काम शुरू किया.

17 नवंबर: रात भर काम करने के बाद मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर चार स्टील पाइप डाले. पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से जोर की आवाज आई, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम रोका गया. मशीन को भी नुकसान हुआ. इसके बाद, बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गयी.

18 नवंबर: सुरंग में भारी मशीन से कंपन को देखते हुए मलबा गिरने की आशंका के चलते ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई. प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की टीम और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया जिनमें सुरंग के उपर से क्षैतिज ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का विकल्प भी शामिल था. 19 नवंबर: ड्रिलिंग रूकी रही जबकि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा की और कहा कि ऑगर मशीन के जरिए क्षैतिज ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. उन्होंने दो से ढ़ाई दिनों में सफलता मिलने की उम्मीद जताई.

20 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर मुख्यमंत्री धामी से बातकर सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया और श्रमिकों का मनोबल ऊंचा बनाए रखने पर जोर दिया. बचावकर्मियों ने मलबे में ड्रिलिंग कर छह इंच व्यास की पाइपलाइन डाली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाना, कपड़े तथा अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति करने में मदद मिली. हालांकि, ऑगर मशीन के सामने बोल्डर आने से रूकी ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पायी.

21 नवंबर: बचावकर्मियों ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया. सफेद और पीला हेल्मेट पहने श्रमिक पाइप के जरिए भोजन प्राप्त करते और एक दूसरे से बातचीत करते दिखाई दिए. सिलक्यारा सुरंग के बड़कोट छोर पर दो विस्फोट कर दूसरी ओर से ड्रिलिंग की शुरूआत की गयी. हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि इस वैकल्पिक तरीके से श्रमिकों तक पहुंचने में 40 दिन लगने की संभावना है. एनएचआइडीसीएल ने ऑगर मशीन से सिलक्यारा छोर से फिर क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू की.

22 नवंबर: 800 मिमी के व्यास की स्टील पाइपलाइन मलबे में 45 मीटर अंदर तक पहुंची और कुल 57 मीटर मलबे में से 12 मीटर को भेदा जाना शेष रह गया. सुरंग के बाहर एंबुलेंस को खड़ा किया गया. इसके अलावा, घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का विशेष वार्ड बनाया गया। देर रात लोहे के सरिए और गर्डर सामने आने से ड्रिलिंग में फिर अवरोध आया.

23 नवंबर: अड़चन आने से बचाव अभियान में छह घंटे की देरी हुई. बाधा को दूर करने के बाद ड्रिलिंग फिर शुरू हुई. राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने बताया कि बुधवार को आई रूकावट के बाद ड्रिलिंग में 1.8 मीटर की प्रगति हुई. ऑगर मशीन के नीचे बने प्लेटफॉर्म में दरारें आने से ड्रिलिंग फिर रूकी.

Uttarkashi Tunnel Rescue: मौत के साए में 41 जिंदगियां...टनल से कब बाहर आएंगे मजदूर, मंजिल अब कितनी दूर? जानें 13 दिन में कब-क्या हुआ

24 नवंबर: बाधाओं को दूर कर 25 टन वजनी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू हुई। लेकिन कुछ देर बाद फिर लोहे का सरिया सामने आने से ड्रिलिंग रूक गई. (इनपुट भाषा से)

Tags: Rescue operation, Uttarakhand news, Uttarkashi News

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