मोरक्को के खिलाफ डेविस कप में भारत का पलड़ा भारी, बोपन्ना की होगी विदाई

पिछले कुछ साल में एटीपी सर्किट पर बड़े खिलाड़ियों को चुनौती देने वाले एकल खिलाड़ियों के अभाव और जीते जा सकने वाले मैचों में मिली हार से भारतीय डेविस कप टीम का प्रदर्शन काफी प्रभावित हुआ है।

मोरक्को के खिलाफ डेविस कप विश्व ग्रुप दो का मुकाबला भारत के लिये मुश्किल नहीं होगा लेकिन यह खास इसलिये है क्योंकि करीब 21 साल बाद रोहन बोपन्ना के डेविस कप कैरियर पर विराम लगने जा रहा है।
पिछले कुछ साल में एटीपी सर्किट पर बड़े खिलाड़ियों को चुनौती देने वाले एकल खिलाड़ियों के अभाव और जीते जा सकने वाले मैचों में मिली हार से भारतीय डेविस कप टीम का प्रदर्शन काफी प्रभावित हुआ है।

फरवरी में टीम विश्व ग्रुप दो में खिसक गई जो अब तक नहीं हुआ था।
नया प्रारूप 2019 में लांच होने के बाद से यह पहली बार है कि भारतीय टीम इस स्तर पर गिरी है।
भारत पिछली बार मार्च में डेविस कप मुकाबले में डेनमार्क से 2 . 3 से हार गया था। इस सत्र में भारतीय टेनिस ने कोई यादगार पल नहीं देखे लेकिन पिछले सप्ताह बोपन्ना अमेरिकी ओपन पुरूष युगल के फाइनल में पहुंचे।

युकी भांबरी ने एकल खेलना छोड़ दिया है जबकि रामकुमार रामनाथन शीर्ष 550 से भी बाहर हो गए हैं। इस सत्र में अलग अलग टूर्नामेंटों में रामनाथन 17 बार पहले दौर से बाहर हो गए। यही वजह है कि कप्तान रोहित राजपाल ने उन्हें टीम में नहीं लिया हालांकि वह अभ्यास में मदद के लिये टीम का हिस्सा हैं।
बोपन्ना 43 वर्ष की उम्र में भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके स्ट्रोक्स में अभी भी धार है और वह जबर्दस्त विनर लगा रहे हैं। उनकी इच्छा को देखते हुए विदाई मैच उनके शहर बेंगलुरू में खेला जाता तो बेहतर रहता।

लखनऊ में स्टेडियम की दर्शक क्षमता 1300 है लेकिन बेंगलुरू में 6500 दर्शक बैठ सकते हैं।
वर्ष 2002 में पदार्पण के बाद से अब तक खेले गए 32 मैचों में से बोपन्ना ने 22 मैच जीते हैं जिनमें दस एकल हैं। एआईटीए ने बृहस्पतिवार की रात को बोपन्ना का एक विशेष समारोह में अभिनंदन किया। उनके कई दोस्त और परिजन इस मैच को देखने के लिये पहुंचे हैं।
भारत के नंबर एक एकल खिलाड़ी सुमित नागल फॉर्म में हैं। वह आस्ट्रिया में चैलेंजर टूर्नामेंट फाइनल खेलकर आये हैं जो इस सत्र में उनका तीसरा फाइनल था।

शशि मुकुंद भारत के लिये पदार्पण करोंगे। उन्हें 2019 में भी पाकिस्तान के खिलाफ टीम में जगह दी गई थी लेकिन चोट के कारण उन्होंने नाम वापिस ले लिया था। दिग्विजय प्रताप सिंह भी टीम में है जिन्हें औपचारिकता के मैच में उतारा जा सकता है।
मोरक्को की टीम में एक ही खिलाड़ी एलियोट बेनचेट्रिट से भारत को चुनौती मिल सकती है। उन्होंने शीर्ष सौ में शामिल खिलाड़ियों को हराया है और ग्रैंडस्लैम भी खेल चुके हैं। मोरक्को के दूसरे एकल खिलाड़ी 20 वर्ष के यासिन डी हैं जो रैंकिंग में 557वें स्थान पर हैं। एडम मूंडिर 779वें स्थान पर हैं जबकि वालिद अहूडा और यूनिस लालामी तो शीर्ष 1000 में भी नहीं हैं।

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