ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन के प्रमुख मगनभाई पटेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और अन्य सम्बंधित केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर आयकर की धारा ४३-बी (एच) के अनुसार ४५ दिनों के भीतर एमएसएमई को भुगतान के संबंध में एक बयान में कहा कि बजट २०२३ में एमएसएमई से की गई खरीदारी और भुगतान के नियम को आयकर अधिनियम में शामिल कर के इस के लिए एक नई धारा ४३बी (एच) को शामिल किया है जिसका ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन स्वागत करता है।
ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन के निर्देशानुसार जिन इकाइयों का पुराना भुगतान बकाया है, उन्हें अप्रैल, २०२४ से जून,२०२४ तक यानी ९० दिन तक का भुगतान समय देने का अनुरोध है। आय की धारा ४३बी(एच) के अनुसार कर भुगतान की ४५ दिनों की अवधि को बढ़ाकर ६० दिन तक कर देने का अनुरोध है।छोटी इकाइयाँ जिनका टर्नओवर २.५ से ५ करोड़ के बीच है,उन्हें इस धारा में छूट दी जानी चाहिए यानी उन पर यह अधिनियम लागू नहीं होना चाहिए।आज देश में एमएसएमई के अलावा जिन इकाइयों का ५ से ६ महीने का भुगतान बकाया है, उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार कार्यशील पूंजी को बढ़ा देने से इस कानून के कार्यान्वयन में आसानी होगी।जिन बैंक या वित्तीय संस्थानों में उनके खाते हैं,उन्हें उनके क्रेडिट रिकॉर्ड के आधार पर टेम्पररी ओवरड्राफ्ट देकर उनकी वर्किंग फेसिलिटी में राहत देनी चाहिए।
श्री मगनभाई पटेलने एक मिडिया इंटरव्यू में बताया की जब मैं १९९४ से २००७ तक गुजरात राज्य लघु उद्योग महामंडल का अध्यक्ष था तब मैंने विलंब भुगतान अधिनियम के संबंध में कई सुझाव दिए, जिसके बाद दिनांक १६.१२.१९९४ को स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज़ (SSI) की बोर्ड मिटिंग विज्ञान भवन, नई दिल्ली में केबिनेट मिनिस्टर की अध्यक्षता में विलंब भुगतान अधिनियम के संबंध में आयोजित की गई, जिस के उद्घाटन में उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी.वी.नरसिम्हा राव और केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, वित्त सचिव श्री मोंटेक सिंह आहुवालिया उपस्थित थे। विलंब भुगतान अधिनियम के संबंध में मैंने इस बैठक से पहले जो प्रस्ताव रखा था, उसे इस बोर्ड मीटिंग के एजंडा में शामिल किया,जिसमें कई मुद्दे शामिल थे, जिनके आधार पर यह अधिनियम बनाया गया था। वर्ष १९९४ में अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक सरकारी और अर्ध-सरकारी संगठनों में ८० प्रतिशत और निजी क्षेत्र में ५० प्रतिशत कार्यान्वयन हुआ है।
इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए देश भर से बार-बार अनुरोध आने के कारण मैंने कई पत्रों द्वारा संबंधित प्राधिकरण को कई अभ्यावेदन दिए और देश के प्रत्येक राज्य में उद्योग आयुक्त या सचिव की अध्यक्षता मे देश के अलग-अलग NGO एव कन्सर्न अधिकारिओ की एक फेसिलेट काउन्सिल बनी और उन्हें इस समस्या से संबंधित उच्च न्यायालयने आदेश भी दिए, फिर भी अदालती आदेशों की अवहेलना और बड़े उद्योगों द्वारा इस अधिनियम का पालन न होने पर छोटे उद्योग बहुत ही असहाय स्थिति में आ गए तब देश के कई मीडिया जगत ने मेरे विचार व्यक्त किए और सरकार को विलंबित भुगतान की समस्या के समाधान के लिए बिनती भी की।
हाल ही में श्री मगनभाई पटेलने कहा कि सरकार ने एमएसएमई को ४५ दिनों के भीतर भुगतान करने के संबंध में आयकर में धारा ४३बी(एच) को शामिल किया है जो एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है जिससे मुख्य रूप से समय पर भुगतान के कारण देश के करीब ६ करोड़ एमएसएमई को लाभ होगा, जैसे उद्योगों में काम करनेवाले मजदूरों को समय पर वेतन का भुगतान हो सकेगा, ४५ दिनों में भुगतान आने से बैंक एव वित्तीय संस्थानों से लेनदेन समय पर हो सकेगा, एमएसएमई के कच्चे माल जैसे प्लास्टिक के दाने, लौह-अलौह धातुएं, फार्मेसी के लिए दवाएं, कपड़ा या अन्य सामग्री के लिए मशीनरी या अन्य कच्चे माल का निर्माण बड़े उद्योग एकम द्वारा किया जाता है और इसके लिए अग्रिम भुगतान भी लिया जाता है ताकि समय पर भुगतान किया जा सके इसके कारण, बकाया के कारण उत्पन्न होने वाले संभावित विवाद और कानूनी लड़ाई कम हो सकती है। इस प्रकार एमएसएमई और बड़े व्यवसायों दोनों के लिए समय और संसाधनों की बचत होती है, जबकि निर्धारित समयसीमा का पालन करते हुए, बड़े उद्यम या कंपनियां एक ही वर्ष में एमएसएमई को किए गए भुगतान के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कर देनदारियों के साथ-साथ आयकर भी कम हो जाता है। धारा ४३बी(एच) वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता के अनुपालन को बढ़ावा दे सकती है।
श्री मगनभाई पटेलने आगे कहा कि एमएसएमई को शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करना एक मजबूत एमएसएमई इको सिस्टम को बढ़ावा मिलता है, साथ ही एमएसएमई को समय पर भुगतान मिलने से एमएसएमई अपना कच्चा माल नकदी से खरीद सकेंगे और यदि प्लांट से खरीदी होती हे तो उसे ७ प्रतिशत से १५ प्रतिशत की नकद छूट भी मिलेगी, जिससे बिचौलिए खत्म हो जाएंगे। उदाहरण रूप एक एमएसएमई जो १० करोड़ रुपये की खरीदारी करता है,तो उसे १० % की दर से करीब १ करोड़ रुपये का मुनाफा लाभ केवल खरीद में ही होगा। अगर व्यापार और उद्योग व्यवहारिक हो जाएंगे तो इस एक्ट से सभी को फायदा होगा।अभी एमएसएमई का पैसा साल में २ से ३ बार घूमता है, सीधे तौर पर साल में ५ से ६ बार घूमेगा। एमएसएमई को अधिकांश कच्चा माल कॉर्पोरेट क्षेत्र से मिलता है और बड़े कॉर्पोरेट क्षेत्र का जॉब वर्क भी होता है। इस प्रकार एमएसएमई और बड़े कॉर्पोरेट सेक्टर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, इनके साथ काम करने से आज हम परिधान के क्षेत्र में चीन, कोरिया, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे निर्माताओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे और अपने उत्पाद बेच सकेंगे और इससे देश में रोजगार भी बढ़ेगा। इस अधिनियम से कृषि आधारित उद्योगों के साथ-साथ देश के ६ करोड़ से अधिक एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र को भी लाभ होगा।
श्री मगनभाई पटेलने भारपूर्वक बताया की अभी जब इस कानून का अमलीकरण भी नहीं हुआ है तब एमएसएमई के अलावा कुछ ट्रेड एव विनिर्माण इकाइयों ने एमएसएमई को डराना -धमकाना शुरू भी कर दिया है जैसे खरीदे गए सामान को वापस भेज देंगे और एमएसएमई से सामग्री नहीं खरीदेंगे, जिससे सरकार और एमएसएमई को कष्ट देने का प्रयास करना है। एमएसएमई के प्रतिनिधि के तौर पर इस प्रस्ताव को सरकार ने १९९४ से ही स्वीकार कर लिया है, लेकिन एमएसएमई के अलावा कुछ व्यापारिक क्षेत्रों जैसे बड़े उद्योगों के लोग एमएसएमई या सरकार की सराहना नहीं करते हैं, इसलिए सरकार को इस कानून से पीछेहट नहीं करनी चाहिए।