विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने एक किताब लिखी है ‘व्हाय भारत मैटर्स’. तीन साल पहले उन्होंने एक किताब लिखी थी ‘द इंडिया वे’. उन्होंने पिछली किताब के शीर्षक में ‘इंडिया’ और ताजा किताब के शीर्षक में ‘भारत’ लिखे जाने के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा कि, ”इस दशक में और पिछले खास कर तीन-चार साल में देश में ऐसे परिवर्तन हमने देखे हैं.. मुझे लगता है, संस्कृति के क्षेत्र में हो, आत्मविश्वास में हो, हमारी डिलीवरी में हो, हमारी अपनी सोच में हो, अगर आप इस सबको जोड़ेंगे, तो मुझे लगता है कि इसको हमें कहीं संक्षिप्त में इस कांसेप्ट को प्रस्तुत करना है, तो मुझे लगा कि ‘भारत’ का उपयोग करने से मुझे लगा कि वह सही मैसेज कन्वे होगा. ‘भारत’ को मैं एक किस्म से माइंडसेट, एक एप्रोच मानता हूं.”
कनाडा आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा
विदेश मंत्री ने कहा कि, “हर देश अपने हितों के मुताबिक हालात बदलना चाहता है… चीन और भारत दोनों उभरती शक्तियां हैं, लेकिन हमारा मुकाबला सिर्फ़ चीन से नहीं है.” उन्होंने कहा कि, “कनाडा आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. आतंकवाद को बढ़ावा देना कनाडा की सियासी कमज़ोरी है.”
एस जयशंकर ने मालदीव के राष्ट्रपति पर दो टूक बात कही कि, “सियासत और जिम्मेदारी के पद पर अलग तरह से बर्ताव ज़रूरी है.” उन्होंने कहा कि, मालदीव के साथ हल निकालने के लिए हम बात करने को तैयार हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि, “पाकिस्तान से खराब रिश्तों के पीछे आतंकवाद है. पाकिस्तान जितना आतंकवाद को समर्थन देगा, उसका उतना नुकसान होगा.” उन्होंने कहा कि, “पाकिस्तान से उच्चस्तरीय बातचीत दूर की कौड़ी है.” उन्होंने कहा कि, “भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाने वाले सच से दूर हैं. वे अपने गिरेबान में झांकें, सवाल उठाएंगे तो भारत जवाब भी देगा.”
एस जयशंकर ने कहा कि, “वैश्विक व्यवस्था में जल्दी बदलाव नहीं आता. हम पश्चिम में नहीं हैं, लेकिन पश्चिम-विरोधी भी नहीं हैं. ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ में संघर्ष है. भारत दोनों के बीच में रहने की कोशिश कर रहा है.” उन्होंने कहा कि, “विश्व मित्र भारत की चाह – सबका साथ, सबका विकास है.”
विदेश मंत्री ने कहा कि, “अपनी संस्कृति और विरासत को अपनाना चाहिए. हमारे संवाद में अपने संदर्भों का इस्तेमाल ज़रूरी है. अपनी विरासत के संदर्भ जल्द समझ आते हैं.”
एस जयशंकर ने कहा कि, “साल में मैं 30-40 विदेश यात्राएं करता हूं. आपको अपना काम पसंद है, तो मानसिक शांति रहती है. फिट रहने के लिए स्क्वैश और बैडमिंटन खेलता हूं. रोज़ एक घंटा फिटनेस को देता हूं.” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार में 4-5 दिन की छुट्टी पर जाना मुमकिन नहीं है.”
पड़ोसी देशों से सौदा नहीं, रियल फ्रेंडशिप
मोदी इरा में फॉरेन पॉलिसी कैसे पूरी तरह ट्रांसफार्म हो गई? सवाल पर एस जयशंकर ने कुछ मार्कर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, ”हमारे पड़ोस में देखें, आप जानते हैं कि 2014 में नई नीति आई थी, नेबरहुड फर्स्ट. इसका मतलब था कि हम अपने पड़ोस को प्राथमिकता दें, और उनके साथ जो हमारी डिलिंग्स हों, वह खुले दिल के साथ हो. उनकी कभी कोई जरूरतें होती हैं, इसमें हम ज्यादा न पड़ें कि आप हमारे लिए क्या कर रहे हैं, हम आपके लिए.. तो सौदा न हो, रियल फ्रेंडशिप हो. तो उसका सबसे बड़ा मार्कर मैं कहूंगा कि जब श्रीलंका संकट में पड़ा और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि वहां राष्ट्रपति को भी अपना पद छोड़ना पड़ा. बाकी दुनिया चर्चा तो कर रही थी, मगर आप मदद के रूप में देखें तो कोई ज्यादा हेल्प नहीं कर रहा था. भारत एक ऐसा देश था जिसने.. और हमारे इतिहास में हमने पहली बार साढ़े चार बिलियन डॉलर की मदद दी. तो यह मैं कहूंगा कि नेबरहुड में इसका एक मैसेज है.”