ईशा बिरोरिया/ऋषिकेश: हमारे सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष माह की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारंभ किया था. इस माह में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है. वैसे तो एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. लेकिन मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु सहित भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करने का विधान है.
लोकल 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश के पुजारी धर्मानंद शास्त्री बताते हैं कि मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मोक्ष देने वाली एकादशी यानी मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. महाभारत के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उद्देश्य समझाया था. इसी वजह से ये दिन गीता जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है. साथ ही इस व्रत का विधान भी उत्पन्न एकादशी के समान माना गया है.
वाजपेय यज्ञ के समान मिलता है फल
पुजारी धर्मानंद बताते हैं कि मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस एकादशी का महत्व समझाते हुए कहा था कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की अनेक पापों को नष्ट करने वाली ये एकादशी मोक्षदा एकादशी के नाम से जानी जाएगी. इस साल 23 दिसंबर 2023 को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान दामोदर की धूप, दीप इत्यादि से पूजा करने का विधान है.
व्रत से मिलता है वाजपेय यज्ञ का फल
इस दिन व्रत करने वालों के सभी पाप नष्ट होते हैं और उन्हें मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं और साथ ही जो व्यक्ति इस दिन व्रत करने के बाद शाम को इस व्रत की कथा सुनते हैं और गंगा जल से स्नान करते हैं उन्हें वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती हैं. इसके साथ ही इस दिन साधु संतों को भोजन करवाने से और गरीबों को दान देने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2023, 17:39 IST