कुंदन कुमार/गया.गया के बोधगया में इन दिनों बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के द्वारा कालचक्र मैदान में तीन दिवसीय टीचिंग दिया जा रहा है. टीचिंग में शामिल होने के लिए देश-विदेश के 60 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं. टीचिंग में शामिल होने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं को चाय और तिब्बती ब्रेड दिया जाता है. कालचक्र पूजा में तीन दिनों में लगभग 2 लाख तिब्बती रोटी की खपत होती है. ऐसे में बोधगया के गलियों में तिब्बती रोटी बनाते सैकड़ो लोग दिख जाएंगे. मैदा से तैयार किया गया तिब्बती व्यंजन को फाले कहा जाता है. जिसे चाय के साथ खाया जाता है.
बोधगया में वैसे तो कई होटल और रेस्टोरेंट हैं. जहां लजीज व्यंजन मिल जाता है, लेकिन चाय के साथ तिब्बती रोटी को खाने का अलग ही मजा है. बोधगया के पचहट्टी मुहल्ले में 300 से अधिक स्थानीय लोग फाले बनाने में जुटे रहते हैं. इससे उन्हें एक रोजगार में मिल जाता है. पर्यटन सीजन के दौरान इस रोटी की खूब बिक्री होती है और इस रोटी की कीमत 10 रुपया से लेकर 15 रुपया प्रति पीस है. जिसे मैदा से तैयार किया जाता है. फाले को तैयार करने के लिए रात को मैदा में मीठा सोडा मिलाकर गुंथा जाता है. फिर अगले दिन ईस्ट मिलाकर रोटी के आकार में बेलकर बड़ा सा लोहे के तावा पर सेंका जाता है.
फाले का इतिहास लगभग 50-60 साल पुराना
बोधगया में फाले का इतिहास लगभग 50-60 साल पुराना है. उस दौर में तिब्बत से आए लोगों के द्वारा इस रोटी को बनाया जाता था. लेकिन धीरे-धीरे स्थानीय लोग इसे बनाने का तरीका सीख लिया और अब बोधगया के लगभग 300 लोग फाले बनाने का काम करते हैं. यह तिब्बतियों का पसंदीदा व्यंजन है और वे इसे बड़े चाव से खाते हैं. बोधगया के बेहतरीन होटल और रेस्टोरेंट को छोड़कर विदेशी बौद्ध श्रद्धालु फालेप खाने के लिए आतुर रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 31, 2023, 11:38 IST