भारतीय नागरिक पर संयुक्त राज्य अमेरिका में सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। यह घटनाक्रम पड़ोसी देश कनाडा द्वारा जून में एक और खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से सार्वजनिक रूप से भारतीय खुफिया जानकारी को जोड़ने के दो महीने बाद आया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा और अमेरिका के साथ भारत के खराब संबंधों के बीच एक बड़ा अंतर बताते हुए कहा कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवादी और चरमपंथी गतिविधियों को उचित ठहराता है। उन्होंने ये टिप्पणी टीओआई के साथ एक इंटरव्यू के दौरान की है। भारतीय नागरिक पर संयुक्त राज्य अमेरिका में सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। यह घटनाक्रम पड़ोसी देश कनाडा द्वारा जून में एक और खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से सार्वजनिक रूप से भारतीय खुफिया जानकारी को जोड़ने के दो महीने बाद आया है।
व्हाइट हाउस ने कहा कि बिडेन प्रशासन अमेरिकी धरती पर पन्नुन की हत्या की कथित साजिश को ‘अत्यंत गंभीरता’ से ले रहा है और इस मुद्दे को नई दिल्ली के साथ उठाया है। ओटावा के आरोपों को “बेतुका” कहकर खारिज कर दिया गया लेकिन वाशिंगटन के जवाब में, नई दिल्ली ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ने पन्नुन प्रकरण को जिस तरह से संभाला, उसमें भारत की स्थिति के बारे में अधिक विचारशील हो सकता था, जयशंकर ने कहा कि पहला तो यह है कि जब अमेरिकियों को विश्वास हुआ कि उनके पास एक मुद्दा है, तो क्या उनका विश्वास मान्य है या नहीं, केवल अदालत ही फैसला कर सकती है।
वे हमारे पास आए और कहा कि देखिए हमारी ये चिंताएं हैं और हम इसे आपके साथ साझा कर रहे हैं और चाहते हैं कि आप पता लगाएं कि क्या हो रहा है। कनाडाई लोगों ने ऐसा नहीं किया। दोनों देशों के बीच अंतर बताते हुए जयशंकर ने कहा कि अमेरिका कनाडा की तुलना में स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर मजबूत स्टैंड रखता है। मेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इन अलगाववादी, आतंकवादी, चरमपंथी गतिविधियों को उचित नहीं ठहराता है। हमने कनाडा की तुलना में अमेरिका को स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर कहीं अधिक कड़ा रुख अपनाते हुए देखा है। कनाडा ने भी कई बार हमारी राजनीति में खुलेआम हस्तक्षेप किया है। हम सभी को पंजाब की घटनाएँ याद हैं। मुझे लगता है कि दुनिया में एकमात्र प्रधानमंत्री जिन्होंने सार्वजनिक रूप से इस पर टिप्पणी की वह कनाडाई प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि हमारे यहां सेब और संतरे हैं और मैं दोनों को मिलाऊंगा नहीं।
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