
उपराष्ट्रपति के रूप में मेरी संवैधानिक स्थिति में भी लोग मुझे नहीं छोड़ते- जगदीप धनखड़
खास बातें
- एक पीड़ित जानता है कि उसे कैसे झेलना पड़ता है- जगदीप धनखड़
- संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद लोग मुझे नहीं बख्शते- उपराष्ट्रपति
- तृणमूल सांसद की पैरोडी “व्यक्तिगत हमला”- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
नई दिल्ली :
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) एक सांसद द्वारा कथित तौर पर उनकी नकल (पैरोडी) करने को लेकर विवाद के बाद आज खुद को एक “पीड़ित” बताया, जिसे “अपमान” सहना पड़ता है. राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ अपने आधिकारिक आवास पर भारतीय सांख्यिकी सेवा (ISS) के परिवीक्षार्थियों (Probationers) के मौजूदा बैच को संबोधित कर रहे थे.
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इस दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा, “मैं एक पीड़ित हूं! एक पीड़ित जानता है कि उसे कैसे झेलना पड़ता है, सभी का सामना करना है, सभी अपमान सहने हैं, एक ही दिशा में चलते हुए, जो रास्ता भारत माता की सेवा की ओर जाता है.”
उपराष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों से आलोचना सहना सीखने की बात कहते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद लोग उन्हें नहीं बख्शते. उन्होंने कहा, “यहां तक कि राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति के रूप में मेरी संवैधानिक स्थिति में भी लोग मुझे नहीं छोड़ते! क्या इससे मेरी मानसिकता बदलनी चाहिए? क्या इससे मुझे रास्ता भटक जाना चाहिए? नहीं…! धर्म के रास्ते पर, हमें हमेशा आगे बढ़ना चाहिए.”
अपमान करने वाले लोगों को “पुराने आलोचक” बताते हुए आगे कहा, “जिन लोगों का पाचन तंत्र हमारे विकास के लिए खराब है, उनसे कभी भी डरना नहीं चाहिए.”
I am a sufferer!
A sufferer knows how to withstand from within, taking all upfront, enduring all insults, with one direction – we are in the service of our Bharat Mata.@NSSTA_Official@GoIStatspic.twitter.com/GgLFZY8qqf
— Vice President of India (@VPIndia) December 24, 2023
उपराष्ट्रपति ने पहले तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी की पैरोडी को “व्यक्तिगत हमला” बताया था, यहां तक कि सत्तारूढ़ गठबंधन उनके सम्मान में एक घंटे के लिए संसद में खड़ा हुआ था. जगदीप धनखड़ ने कहा था कि यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें फोन किया था और कहा था कि वह 20 वर्षों से “इस तरह के अपमान का सामना कर रहे हैं.”
देश के उपराष्ट्रपति नियुक्त होने से पहले, जब श्री धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, तब उनका तृणमूल के साथ विवाद चल रहा था. बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र के निर्धारित समापन से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. शीतकालीन सत्र के दौरान अनुचित व्यवहार और कदाचार के कारण 46 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. शीतकालीन सत्र चार दिसंबर को शुरू हुआ और 22 दिसंबर को समाप्त होने वाला था.
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