मैं तो जानती ही नहीं फेसबुक, इंस्टा कैसे चलता है, झारखंड क्लैट टॉपर से मिलिए

शिखा श्रेया/रांची. मेहनत मन लगाकर की जाए तो रंग लाती ही है. यह बात साबित कर दिया रांची की जागृति ने, जिन्होंने क्लैट 2023 के रिजल्ट में अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं. ऑल ओवर इंडिया 17वीं रैंक लाकर क्लैट क्वालीफाई किया. साथ ही झारखंड टॉपर भी रहीं. जागृति ने बताया कि मेरा हमेशा से वकील बनने का सपना रहा है. इसके लिए माता-पिता ने मेरा बहुत सहयोग किया. इस रैंक से मैं बहुत खुश हूं और अब बेंगलुरु के नेशनल लॉ कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती हूं. फिलहाल जेवीएम शामली में पढ़ रही हूं.

2 साल तपस्या से कम नहीं 
जागृति ने बताया इस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने 2 साल सब चीजों से दूरी बना ली थी. 2 साल पूरी तन्मयता के साथ पढ़ाई की. एक दिन भी आलस्य नहीं किया. हर दिन 4 से 5 घंटे की पढ़ाई होती थी. स्कूल से आकर रोज कोचिंग भी जाती थी. इस तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण चीज एकाग्रता है. अगर आप एक लय के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे तो फिर मंजिल पाना मुश्किल होगा.

पापा-मम्मी नहीं करने देते थे काम
आगे बताया कि कंसिस्टेंसी के साथ फोकस होना बहुत जरूरी है. मैं 4 घंटा ही पढ़ती थी लेकिन पूरा मन लगाकर. इसमें पापा का भी बड़ा योगदान रहा. उन्होंने मुझे कभी घर के किसी भी काम में नहीं उलझाया और हमेशा कहते थे कि तुम्हें और कुछ नहीं करना है बस पढ़ाई करनी है. वहीं, मम्मी हमेशा मेरे खाने पीने से लेकर मेरी हर एक छोटी-बड़ी चीजों का ध्यान रखा करती थी. मुझे सिर्फ पढ़ाई में ध्यान लगाने में काफी मदद मिली.

सैंपल पेपर सॉल्व करना जरूरी
जागृति बताती है कि मैंने 100 से अधिक सैंपल पेपर सॉल्व किए. सैंपल पेपर सॉल्व करना बहुत जरूरी है. इससे न सिर्फ समझ पाएंगे कि परीक्षा का पैटर्न क्या है, बल्कि, एग्जाम में घबराहट होती है उसको भी आप आसानी से हैंडल कर पाएंगे. सैंपल पेपर से यह पता चलता है कि कहां पर क्या गलतियां हो रही हैं. वह गलती आखिर क्यों हो रही हैं. इस पर विचार करने के बाद, उस गलती को सुधारने की कोशिश करती थी. ऐसे में परफॉर्मेंस काफी निखरती थी. बताया कि इसके साथ रिवीजन काफी जरूरी है, जो पढ़ा हैं, उसे समय-समय पर रिवाइज करते रहें. इससे एग्जाम में हर चीज याद रहेगी, साथ ही बेहतर डाइट भी लेना जरूरी होता है. मैं हमेशा मां के हाथ का बना ही खाती थी.

सोशल मीडिया से 2 साल पूरी तरह दूरी
जागृति बताती है कि मैं 2 साल सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी चीजों से पूरी तरह से दूर रही. फेसबुक, इंस्टाग्राम तो मुझे उतना चलाना भी नहीं आता है, क्योंकि यह बहुत बड़ा डायवर्टर का काम करता है. यह आपके फोकस में बाधा बनता है. साथी 2 साल तक टीवी भी नहीं देखा. बस एकाग्र होकर पढ़ाई करते चली गई. मैं यही कहना चाहूंगी कि हर तैयारी करने वाले को गैर जरूरी चीजों से किनारा करके सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए. खराब मार्क्स आए तो निराश न हों, बल्कि देखें कि कहां गलती हो रही है और उसको सुधारें. खुद पर विश्वास रखें, मंजिल जरूर मिलेगी.

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