मेरठ में रावण के पुतले बनाता आ रहा है पीढ़ी दर पीढ़ी मुस्लिम परिवार

विशाल भटनागर/मेरठ: भले ही देश में धार्मिक विषय को लेकर तरह की बातें होती हो. लेकिन मेरठ में हिंदू मुस्लिम भाईचारे का एक अनोखा ही संगम देखने को मिलता है. विजयादशमी के दिन हिंदू समाज द्वारा जिस बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है. उसे पुतले को तैयार करने में मुस्लिम कारीगरों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है क्योंकि मेरठ में अधिकतर स्थान पर तैयार होने वाले रावण के पुतले मुस्लिम कारीगरों द्वारा ही तैयार किया जाता है.

भैसाली मैदान में रावण के पुतले तैयार करने वाले असलम ने बताया उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी रावण के पुतले तैयार करता हुआ आ रहा है. उन्हें खुद भी 42 वर्ष इसी कार्य को करते हो गए हैं. अब उनके बेटे भी उनके साथ इस कार्य में सहभागिता निभाते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कार्य प्रणाली को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भी उनको सम्मानित किया गया.

रावण के पुतले मुस्लिम कारीगर करते हैं तैयार

असलमकहते हैं कि भले ही देश में धर्म के नाम को लेकर अनेकों प्रकार की बातें होती है. लेकिन जब मेरठ में 1987 के दंगे हुए थे. उन्होंने तब भी इसी स्थान पर रावण के पुतले तैयार किए थे. वह कहते हैं कि उनके परिवार का आजीविका का सहारा यह पुतले ही होते हैं.

सात घोड़े पर सवार होगा रावण

असलम ने बताया कि मेरठ के भैसाली मैदान में जो रावण , कुंभकरण, मेघनाथ के पुतले तैयार किया जा रहे हैं. उसमें रावण के पुतले को सात घोड़े के रथ पर सवार दिखाया जाएगा. जिसको लेकर तैयारियां चल रही है. बताते चलेगी जिस मैदान में यह पुतले तैयार किया जा रहे हैं. उस मैदान का भी अपने आप में महत्व है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कभी यहां पर घाट हुआ करता था. जहां रावण की पत्नी मंदोदरी स्नान कर बिलेश्वर नाथ मंदिर और चंडी देवी मंदिर में पूजा अर्चना करने जाया करती थी.साथ सवार होगा

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