मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा CDS अनिल चौहान का पैतृक गांव, पानी की किल्लत-सड़क बदहाल तो स्कूल में लटका ताला

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. कहते हैं अगर किसी क्षेत्र से कोई व्यक्ति एक अच्छे पद पर पहुंच गया, तो उस इलाके की तस्वीर बदल जाती है. यहीं उम्मीद देश के सीडीएस जनरल अनिल चौहान (CDS Anil Chauhan) के पैतृक गांव गवाणा के ग्रामीणों की भी है. सीडीएस अनिल चौहान का पैतृक गांव गवाणा मूलभूत सुविधाओं से आज भी जूझ रहा है. यहां सड़क, पानी की दिक्कतों से ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ रहा है. अनिल चौहान के सीडीएस बनने के बाद ग्रामीणों में गांव के विकास की आस जगी थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी यहां किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि स्थानीय विधायक व कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा यहां गवाणा से मंगलाकोटी तक रोड़ स्वीकृत की गई है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि जब पोखरी तक सड़क पहुंचेगी, तब उनके लिए सुविधा होगी.

सीडीएस अनिल चौहान के छोटे भाई दर्शन सिंह चौहान का कहना है कि बीते एक साल में विकास के नाम पर गांव के लिए आने वाले मार्ग पर टाइल्स बिछाने व टिन शेड बनाने का कार्य किया गया है. गांव में आजीविका का कोई साधन नहीं है. दिहाड़ी मजदूरी कर लोग अपना घर चलाते हैं. वह कहते हैं कि हर घर नल-जल योजना के तहत नल तो प्रत्येक घरों में लगे हुए हैं, लेकिन जल किसी में नहीं है. जिसके चलते बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पुष्पा देवी कहती हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि अनिल चौहान के सीडीएस बनने के बाद गांव के हालात सुधरेंगे, लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है. पानी के लिए उन्हें जूझना पड़ता है. वह कहती हैं कि ढिकवाल गांव पम्पिंग योजना के जरिए गांव तक पेयजल आपूर्ति होनी थी, लेकिन अभी तक पानी गांव में नहीं पहुंचा है. वे लोग दूर नौले से पानी ढोने को मजबूर हैं.

सड़क मार्ग भी बदहाल

ग्रामीण कुलदीप कर्पवाण का कहना है कि गवाणा गांव तक पहुंचने वाली सड़क खस्ताहाल है. डामर पूरी तरह उखड़ चुका है. इस सड़क पर दोपहिया वाहन से जाना किसी खतरे से कम नहीं है. अगर सड़क ठीक हो जाये और गवाणा से मंगलाकोटी तक स्वीकृत रोड को पोखरी से मिलाया जाए, तो उन्हें मुख्यालय पहुंचने में आसानी होगी. अभी कई किमी की दूरी तय कर वे पौड़ी जिला मुख्यालय पहुंचते हैं. वहीं यहां के स्कूल में भी ताला लग चुका है. लोकल 18 से फोन पर बातचीत में खंड शिक्षा अधिकारी अश्विनी रावत ने बताया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय कांड्यीखाल में छात्र संख्या शून्य होने के चलते विद्यालय को बंद कर दिया गया है, जबकि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कांड्यीखाल में दो छात्र पढ़ रहे हैं.

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