मुल्क नया मगर चाल पुरानी…क्या मालदीव के साथ भी श्रीलंका वाला गेम खेल रहा ड्रैगन

Maldives: मालदीव के बारे में आज हर कोई चर्चा कर रहा है. मालदीव सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि उसने भारत से पंगा ले लिया है. सत्ता परिवर्तन के बाद से मालदीव में भारत विरोधी गुट एक्टिव है. दोनों देशों के संबंध में तल्खियां तब से देखी जा रहीं हैं, जब से मोहम्मद मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति बने हैं. मुइज्जू को शी जिनपिंग का समर्थक कहा जाता है. भारत के विरोध का यह भी बड़ा कारण हो सकता है.

चीन से दोस्ती भारी पड़ सकती है

मुइज्जू चीन की जी हुजूरी में लगे हुए हैं. इसके पीछे सबसे कारण यह है कि मालदीव चीन के कर्ज में दबा हुआ है. एक सच यह भी है कि चीन से जिस देश ने कर्ज लिया उसका हश्र अच्छा नहीं हुआ. पाकिस्तान और श्रीलंका इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. चीन से दोस्ती मालदीव के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं. चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका में अपनी मनमानी चलाता है. मालदीव को यह समझना होगा कि चीन से दोस्ती उसे भारी पड़ सकती है.

मुइज्जू की चीन से अपील

दरअसल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को कहा कि चीन उनके देश द्वारा उससे लिए गए ऋण के भुगतान की अवधि में बदलाव करने को सहमत हो गया है और दोनों देशों की सरकारें जल्द ही बातचीत शुरू करेगी. उन्होंने चीन की पांच दिवसीय यात्रा कर लौटने के बाद माले में कहा कि उन्होंने मालदीव को मुहैया किये गये ऋण के भुगतान की अवधि में बदलाव करने या किस्त बढ़ाने की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अपील की है.

चीन के कर्ज में दबा मालदीव

मालदीव के समाचार पोर्टल ‘सन’ ऑनलाइन की खबर के अनुसार, मुइज्जू ने कहा कि चीन के वित्त मंत्रालय की एक तकनीकी टीम जल्द ही मालदीव की यात्रा करेगी ताकि अगले पांच वर्षों में ऋण पुनर्भुगतान में रियायती अवधि की पेशकश करने का तौर-तरीका तय किया जा सके. 

चीन से भारी कर्ज ले चुका है मालदीव

उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें ऋण चुकाने में बड़ी आसानी होगी.’’ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के अनुसार, चीन वर्तमान में इस देश का सबसे बड़ा बाहरी ऋणदाता है, जो इसके कुल सार्वजनिक ऋण का लगभग 20 प्रतिशत है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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