धीरज कुमार/किशनगंज : किशनगंज में अब टेक्निकल खेती में किसान हाथ आजमा रहे हैं. जिला एग्रीकल्चर सेक्टर में लगातार कमाल कर रहा है. ऐसे ही एक किसान हैं जो कि पहले धान गेहूं की खेती किया करता थे. इसमें सफलता हाथ नहीं लगी. कभी महानंदा नदी की बाढ़ में धान समा जाता था, तो वही कभी गेहूं की फ़सल ओला में नष्ट हो जाती थी. इससे नरेश काफी परेशान हो जाता था.
आखिरकार वह थक हार कर अपने दोस्त यार से सलाह लेकर केले की खेती की शुरूआत की. आज न सिर्फ केले की खेती ने नरेश को बुलंदियों पर पहुंचाया, बल्कि नरेश इस खेती में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. फिलहाल नरेश दो एकड़ जमीन में केले की खेती कर रहें हैं. इससे अच्छा पैदावार हुआ ही है साथ में रेट भी शानदार मिला है.
1 लाख लागत, 4 लाख का बेच चुके हैं केला
Local-18 बिहार से बात करते हुए नरेश ने बताया कि पहले वह धान गेहूं की खेती किया करता था. धान गेहूं की फसल में उतना फायदा नहीं हो पता था. वही बाढ़ से धान की फैसले भी नष्ट हो जाती थी. इसके बाद अपनी दो एकड़ जमीन में केले की फसल की शुरुआत की. इसमें 1.50 लाख रुपया लागत आया. आज नरेश केले से जबरदस्त मुनाफा कमा रहा है. वही इस साल 2 एकड़ जमीन में केला लगाया था. जिसमें अबतक 4 लाख से अधिक का केला बेच चुका है.
2 एकड़ में लगाया 2 हजार पौधा
किशनगंज के ठाकुरगंज के रहने वाले नरेश कुमार ने 2 एकड़ केले की खेती में 2 हजार पौधे लगाया. जिसमें अब तक 4 लाख 60 हजार का केला बेच चुके हैं. जो कि 50-60 रुपया घौद बिका. वहीं अभी 2 लाख रुपया से ज्यादा का फल और निकलने की उम्मीद है. वहीं केले की बुआई में खर्च की बात करें तो लगभग 1.50 लाख रुपया का खर्च आया, मुनाफा इसके चौगुनी निकलने की उम्मीद है.
1 साल में केला हो जाता है तैयार
किसान नरेश कुमार ने बताया कि केला तैयार होने में 1 साल लगता है. इसके लिए दोमट या बलुई मिट्टी भी उपयुक्त है. जिसमें केला उपज जाता है. वही इस साल नरेश ने झाजी नस्ल की केले का खेती की थी. इससे काफी फल निकला है.
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 16:56 IST